Ground Water Extraction Notified, to be Effective From 1st June ;Revised Guidelines भूमिगत जल निकालने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित, 01 जून, 2019 से प्रभावी

Press Information Bureau 
Government of India
Ministry of Water Resources
13-December-2018 16:14 IST

Revised Guidelines for Ground Water Extraction Notified, to be Effective From 1st June 2019 
Water Conservation Fee Introduced for the First Time

In order to comply with various directions of the Hon’ble NGT and to address various shortcomings in the existing guidelines of ground water extraction, the Central Ground Water Authority, Ministry of Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation on 12th December 2018 notified revised guidelines for ground water extraction vide notification S.O. No. 6140 (E), which will be effective from 1st June 2019. The revised guidelines aim to ensure a more robust ground water regulatory mechanism in the country.
  Ground+Water+Extraction
One of the important features of the revised guidelines is the introduction of the concept of Water Conservation Fee (WCF). The WCF payable varies with the category of the area, type of industry and the quantum of ground water extraction and is designed to progressively increase from safe to over-exploited areas and from low to high water consuming industries as well as with increasing quantum of ground water extraction. Through this design, the high rates of WCF are expected to discourage setting up of new industries in over-exploited and critical areas as well as act as a deterrent to large scale ground water extraction by industries, especially in over-exploited and critical areas. The WCF would also compel industries to adopt measures relating to water use efficiency and discourage the growth of packaged drinking water units, particularly in over-exploited and critical areas.
Other salient features of the revised guidelines include encouraging use of recycled and treated sewage water by industries, provision of action against polluting industries, mandatory requirement of digital flow meters, piezometers and digital water level recorders (with or without telemetry depending upon quantum of extraction), mandatory water audit by industries abstracting ground water 500 m3/day or more in safe and semi-critical and 200 m3/day or more in critical and over-exploited assessment units, mandatory roof top rain water harvesting except for specified industries and measures to be adopted to ensure prevention of ground water contamination in premises of polluting industries/ projects.
As per the revised guidelines, exemption from requirement of NOC has been given to agricultural users, users employing non-energised means to extract water, individual households (using less than 1 inch diameter delivery pipe) and Armed Forces Establishments during operational deployment or during mobilization in forward locations. Other exemptions (with certain requirements) have been granted to strategic and operational infrastructure projects for Armed Forces, Defence and Paramilitary Forces Establishments and Government water supply agencies.
Ground water extraction in India is primarily for irrigation in agricultural activities, accounting for nearly 228 BCM (Billion Cubic Meter), which amounts to 90% of the annual ground water extraction. The remaining 10% of extraction (25 BCM) is for drinking & domestic as well as industrial uses. Industrial use is estimated to account for only about 5% of the annual ground water extraction in the country.
Central Ground Water Authority (CGWA), constituted under the Environment (Protection) Act of 1986 vide Gazette notification No. S.O.38 (E) dated 14.01.1997 has the mandate of regulating ground water development and management in the country. CGWA has been regulating ground water development for its sustainable management in the country through measures such as issue of advisories, public notices, grant of No Objection Certificates (NOC) for ground water withdrawal.
India is the largest user of ground water in the world, extracting ground water to the tune of 253 bcm per year, which is about 25% of the global ground water extraction. Out of the total of 6584 assessment units, 1034 have been categorized as ‘Over-exploited’ 253 as ‘Critical’, 681 as ‘Semi-Critical’ and 4520 as ‘Safe’ The remaining 96 assessment units have been classified as ‘Saline’ due to non-availability of fresh ground water due to salinity problem.

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
जल संसाधन मंत्रालय 
13-दिसंबर-2018 18:20 IST

भूमिगत जल निकालने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित, 01 जून, 2019 से प्रभावी 
पहली बार जल संरक्षण शुल्क की शुरूआत 

नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के विभिन्न दिशा-निर्देशों का पालन करने और भूमिगत जल निकालने के संबंध में वर्तमान दिशा-निर्देशों में मौजूद विभिन्न कमियों को दूर करने के लिए, केन्द्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने भूमिगत जल निकालने के लिए 12 दिसंबर, 2018 को संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं जो 01 जून, 2019 से प्रभावी होंगे। संशोधित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य देश में एक अधिक मजबूत भूमिगत जल नियामक तंत्र सुनिश्चित करना है।
 Ground+Water+Extraction
संशोधित दिशा-निर्देशों की एक महत्वपूर्ण विशेषता जल संरक्षण शुल्क (डब्ल्यूसीएफ) की अवधारणा शुरू करना है। इस शुल्क का क्षेत्र की श्रेणी, उद्योग के प्रकार और भूमिगत जल निकालने की मात्रा के अनुसार अलग-अलग भुगतान करना होगा। जल संरक्षण शुल्क की उच्च दरों से उन इलाकों में नए उद्योगों को स्थापित करने से रोकने की कोशिश हो सकेगी जहां जमीन से अत्याधिक मात्रा में पानी निकाला जा चुका है। साथ ही यह उद्योगों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमिगत जल निकालने के एक निवारक के रूप में काम करेगा। इस शुल्क से उद्योगों को पानी के इस्तेमाल के संबंध में उपाय करने और पैक किए हुए पीने के पानी की इकाईयों की वृद्धि को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
संशोधित दिशा-निर्देशों की अन्य प्रमुख विशेषताओं में उद्योगों द्वारा पुनर्चक्रण और शोधित सीवेज जल के इस्तेमाल, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान करना, डिजिटल प्रवाह मीटरों की पीजो मीटर और डिजिटल जल स्तर रिकॉर्डरों (टेलीमीटरी के साथ अथवा उसके बिना जो भूमिगत जल निकालने की मात्रा पर निर्भर करता है) आवश्यकता की अनिवार्यता, उद्योगों द्वारा पानी का लेखा अनिवार्य करने, कुछ विशेष उद्योगों को छोड़कर छत पर वर्षा के पानी एकत्र करने को अनिवार्य बनाना और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों/परियोजनाओं के परिसरों में भूमिगत जल दूषित होने की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार कृषि संबंधी कार्यों के लिए जल का उपयोग करने वालों, पानी निकालने के लिए गैर-क्रियाशील तरीकों को लागू करने वाले उपयोगकर्ताओं, निजी परिवारों (जो एक इंच के घेरे से कम की डिलीवरी पाइप का इस्तेमाल कर रहे हैं) और अग्रिम ठिकानों में सामरिक तैनाती अथवा जमाव के दौरान सशस्त्र सेना प्रतिष्ठानों को अनापत्ति प्रमाण-पत्र की आवश्यकता से छूट दी गई है। सशस्त्र सेनाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के प्रतिष्ठानों तथा सरकारी जलापूर्ति एजेंसियों के लिए रणनीतिक और सामरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी छूटें (उच्च जरूरतों के साथ) दी गई हैं।
भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है जो हर वर्ष 253 बीसीएम भूमिगत जल निकालता है। यह दुनिया में जमीन से निकाले जाने वाले पानी का करीब 25 प्रतिशत है।
Share via
Copy link