कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि,
सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग
लोक सभा
तारांकित प्रश्न सं. 326
17 मार्च, 2020 को उत्तरार्थ
विषय: प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का संशोधन
श्रीमती जसकौर मीना
श्री निहाल चन्द चौहान
क्या कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः
(क) कया सरकार का प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का संशोधन करने का विचार है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं; और
(ग) उक्त संशोधन कब तक किये जाने की संभावना है, ब्यौरा दीजिए?
उत्तर
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर)
(क) से (ग): विवरण सभा पटल पर रख दिया गया है।
‘प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का संशोधन” के संबंध में लोक सभा में दिनांक 17.03.2020 को उत्तर दिए जाने वाले तारांकित प्रश्न सं. 326 के भाग (क) से (ग) केउत्तर में उल्लिखित विवरण
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(क) से (ग) खरीफ 2016 मौसम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) के प्रारंभ से इसके कार्यान्वयन में हितधारकों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इनकी नियमित समीक्षा की जा रही है। तदनुसार, इस विभाग ने सभी हितधारकों अर्थात राज्य सरकारों, किसान संगठनों, बीमा कंपनियों, रिइन्शयोरेंस कंपनियों, वित्तीय संस्थानों, संबंधित संगठनों एवं केंद्र सरकार के विभागों के साथ विभिन्न मंचों (फोरम्स) में चुनौतियों का पता लगाने और संभावित समाधान/सुधारात्मक उपायों आदि के लिए विस्तृत विचार-विमर्श किया था। उनसे प्राप्त फीडबैक एवं सुझावों के आधार पर, चल रही पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के प्रावधानों/मानदंडों में परिवर्तन को हाल ही में खरीफ 2020 से इनके कार्यान्वयन हेतु शामिल्र किया गया है। इन योजनाओं के प्रावधानों/मानदंडों में किए गए परिवर्तनों का विवरण नीचे दिया गया है:
- किसानों की मांग को पूरा करने के लिए इस योजना को सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है। किसानों के प्रीमियम की हिस्सेदारी में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
- केंद्र एवं पूर्वोत्तर राज्यों के बीच प्रीमियम सब्सिडी के हिस्सेदारी की पद्धति 50:50 से बदलकर 90:10 कर दी गई है। यह इसलिए किया गया है कि और अधिक राज्य इस योजना को अधिसूचित करें तथा मौजूदा राज्य अधिक फसलों एवं क्षेत्रों को अधिसूचित करें ताकि इस योजना के अंतर्गत किसानों को अधिकतम कवरेज मिल सके। शेष राज्यों के लिए सब्सिडी हिस्सेदारी पद्धति 50:50 के रूप में जारी रहेगी।
- राज्यों द्वारा बीमा कंपनियों का चयन एक वर्ष के बजाय अब 3 वर्षों के लिए किया जाएगा जिससे किसानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एवं जवाबदेही पूरी होगी।
- राज्यों को कृषक समुदाय के हित में बीमित धनराशि के रूप में औसत उपज का नोशनल मूल्य अथवा स्केल आफ फाइनेंस चुनने का विकल्प दिया गया है।
- प्रतिकूल चयन होने के कारण कुछ फसलों/क्षेत्रों के लिए उच्च प्रीमियम दरों से संबंधित समस्या का उचित ढंग से निपटान किया गया है। सिंचित क्षेत्रों के लिए 25 प्रतिशत और गैर सिंचित क्षेत्रों के लिए 30 प्रतिशत तक सकल प्रीमियम दर वाले क्षेत्रो/फसलों के लिए प्रीमियम राजसहायता का अपेक्षित केंद्रीय अंश उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा इन क्षषेत्रो/फसलों के लिए वैकल्पिक जोखिम न्यूनीकरण उपायों का पता लगाया जाएगा।
- अधिकांश राज्यों की मांग को ध्यान में रखते हुए राज्यों को स्थानीय मौसम की चुनौतियों एवं किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उपज आधारित कवर के साथ अतिरिक्त जोखिम कवर को चुनने का विकल्प दिया गया है।
- निर्धारित समय सीमा के बाद सब्सिडी जारी करने में विलंब करने वाले राज्य आने वाले मौसमों में भाग नहीं ले सकेंगे।
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- मौसम एवं उपग्रह सूचकोँ आदि का उपयोग करते हुए फसल उपज अनुमानों के लिए दवि-स्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिससे क्षति का शीघ्र अनुमान लगाने में सहायता मिलेगी।
- कुछ राज्यों द्वारा फसल कटाई प्रयोगों के लिए उपग्रह डाटा के माध्यम से स्मार्ट सैम्पलिंग तकनीक के उपयोग से कार्यान्वयन में दक्षता वृद्धि देखी गई। इस पद्धति को अब भभी क्षेत्रों में कार्यान्वित किया जाएगा।
- कुछ राज्यों द्वारा फसल उपज संबंधी आंकड़ों को प्रस्तुत करने में होने वाले विलंब की समस्या का अब प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके उचित ढंग से निपटान कर लिया गया है।
- इस योजना के अंतर्गत वांछित अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी को सुदृढ़ करने हेतु और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए 3 प्रतिशत की दर से प्रशासनिक व्ययों के लिए प्रावधान किए गए हैं।
Source : Lok Sabha
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