वर्ष |
क्षेत्र कवरेज(लाख/हेक्ट. में) |
उत्पादन (लाख/टन में) |
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खाद्यान्न |
वाणिज्यिक/ नकदी फसलें |
खाद्यान्न |
वाणिज्यिक/ नकदी फसलें |
|
2015-16 |
1232 |
7.8 |
2515 |
105.2 |
2019-20 (अनंतिम) |
1276 |
6.8 |
2966 |
99.1 |
वर्ष |
क्षेत्र कवरेज(लाख/हेक्ट. में) |
उत्पादन (लाख/टन में) |
2015-16 |
225.7 |
1217.9 |
2018-19 (अनंतिम) |
241.1 |
1352.3 |
- देशभर में सभी किसान परिवारों को आय सहायता उपलब्ध कराने और उन्हें कृषि, सम्बद्ध कार्यकलापों और घरेलू आवश्यकताओं की बाबत खर्चों में राहत देने के प्रयोजनार्थ केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक एक नई केंद्रीय क्षेत्रक स्कीम शुरू की है। इस स्कीम का उद्देश्य उच्च आय वर्ग से संबंधित कतिपय अपवर्जनों के अध्यधीन 2000/- रूपए की तीन चार माही किस्तों में किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000/- रूपए का भुगतान करना है।
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- इसके अलावा छोटे और सीमांत किसानों को वृद्धावस्था में मामूली बचत अथवा कोई बचत न होने तथा आजीविका के संसाधन समाप्त होने पर सामाजिक सुरक्षा नेट दिए जाने के प्रयोजनार्थ सरकार ने इन किसानों को वृद्धावस्था पेंशन देने के लिए प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई) नामक एक अन्य केंद्रीय क्षेत्रक स्कीम कार्यान्वित करने का निर्णय लिया है। इस स्कीम के तहत 60 वर्ष के आयु वर्ग में दाखिल होने के बाद कतिपय अपवर्जन खंडों के अध्यधीन पात्र छोटे और सीमांत किसानों को न्यूनतम 3,000/- रूपए की निर्धारित पेंशन दी जाएगी।
- जोखिमों को कम करने के लिए फसलों से संबंधित बेहतर बीमा सुरक्षा दिए जाने के प्रयोजनार्थ खरीफ 2016 मौसम से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) नामक एक फसल बीमा स्कीम शुरू की गई। इस स्कीम के तहत किसानों द्वारा मामूली प्रीमियम पर विशिष्ट मामलों में फसलोपरांत जोखिमों सहित फसल चरण की सभी अवस्थाओं में बीमा सुरक्षा दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
- किसानों की आय में पर्याप्त वृद्धि करने के लिए सरकार ने उत्पादन लागत की कम से कम 150 प्रतिशत दर पर 2018-19 से संबंधित सभी खरीफ और रबी फसलों के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने संबंधी मंजूरी दी है।
- किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने के लिए एक फ़्लैगशिप स्कीम का कार्यान्वयन किया गया है ताकि उर्वरकों का इस्तेमाल युक्तियुक्त रूप में हो सके।
- “प्रतिबूंद अधिक फसल” घटक को शुरू किया गया है जिसके तहत जल का ईष्टतम उपयोग करने, आदानों की लागत कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ड्रिप/ स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) शुरू की गई है।
- किसानों को इलैक्ट्रानिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाईन व्यापार मंच उपलब्ध कराने के लिए ई-नाम पहल शुरू की गई है।
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- ‘हर मेढ़ पर पेड़’ के तहत अतिरिक्त आय के लिए कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय वन अधिनिमय 1927 में संशोधन किए जाने के साथ बांस को वृक्षों की परिभाषा से निकाल दिया गया है। गैर वन्य सरकारी और निजी जमीनों पर बांस रोपण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018 में एक पुनर्रचित राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू करने के साथ-साथ मूल्यवर्धन, उत्पाद विकास और मंडी संवर्धन पर भी जोर दिया गया।
- किसान अनुकूल पहलों को बढ़ावा दिए जाने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) नामक एक नई अंब्रेला स्कीम को मंजूरी दी है। इस स्कीम का उद्देश्य केंद्रीय बजट 2018 में की गई घोषणा के अनुसार किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाना है। यह किसानों की आमदनी संरक्षित करने के प्रयोजनार्थ भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक अभूतपूर्व कदम है जिससे किसानों के कल्याण पर दूरगार्मी प्रभाव पड़ेगा।
- किसानों की अतिरिक्त आय के रूप में परागण और शहद उत्पादन में वृद्धि के जरिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयोजनार्थ मधुमक्खी पालन को समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत बढ़ावा दिया गया है।
- पर्याप्त ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सरकार कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह के लिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है। इस संबंध में बैंक लगातार वार्षिक लक्ष्य से आगे बढ़ रहे है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए कृषि ऋण प्रवाह लक्ष्य 13.50 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है।
- ज्यादा से ज्यादा किसानों को संस्थागत ऋण दिलाना सरकार के आधारभूत उद्देश्यों में से एक है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयोजनार्थ सरकार 3 लाख रूपए तक के अल्पावधि फसल ऋणों पर 2 प्रतिशत ब्याज छूट देती है। इस समय शीघ्र अदायगी किए जाने पर प्रतिवर्ष 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर किसानों को ऋण दिया जा रहा है।
- इसके अलावा ब्याज छूट स्कीम 2018-19 के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाएं होने की स्थिति में राहत दिए जाने के लिए पुन: निर्धारित राशि पर बैंकों को पहले वर्ष के दौरान ब्याज में दी जाने वाली 2 प्रतिशत की छूट जारी रहेगी। किसानों द्वारा उनके उत्पादों के बाध्यकारी विक्रय को रोकने और उन्हें पराक्रम्य रसीदों पर वेयरहाउसों में रखने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयोजनार्थ ब्याज रियायत का लाभ किसान क्रेडिट कार्ड धारक छोटे और सीमांत किसानों को फसलोपरांत 6 माह की और अवधि के लिए उसी दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- सरकार ने पशुपालन और मत्स्य पालन संबंधी कार्यकलाप करने वाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा प्रदान की है। सभी प्रसंस्करण शुल्क, निरीक्षण, खाता प्रभारों और अन्य सेवा प्रभारों को केसीसी के पुन:नवीकरण से छुट दे दी गई है। अल्पावधि कृषि ऋण के लिए संपार्श्विक शुल्क ऋण की सीमा 1 लाख रूपए से बढ़ाकर 1.60 लाख रूपए कर दी गई है। केसीसी पूर्ण आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों के भीतर जारी किए जाएगें।
- कई मंडी सुधार शुरू किए गए हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं
क. मॉडल एपीएलएमसी (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2017
ख. एकत्रीकरण प्लेटफार्मों के रूप में 22,000 ग्रामीण कृषि मंडियों (ग्राम) की संख्या की स्थापना
ग. कृषि-निर्यात नीति, जिसमें 2022 तक कृषि-निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य है
घ. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 ।
ङ. कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश, 2020 ।
च. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन, जो विभिन्न कृषि-वस्तुओं को निष्क्रिय करता है
छ. 2024 तक 10,000 एफपीओ को बढ़ावा देना
- कॉर्पस फंड्स का सृजन
क. सूक्ष्म सिंचाई निधि 5,000 करोड़ रु
ख. ई-नाम और ग्राम्स को मजबूत करने के लिए कृषि –विपणन कोष – 2,000 करोड़ रुपए
ग. कृषि-लॉजिस्टिक्स (बैकवर्ड एंड फॉरवर्ड लिंकेज) बनाने के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) – 100,000 करोड़ रुपए।