सं. 2021/सुरक्षा (अपराध)।45/08
प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त
सभी क्षेत्रीय रेलें, रे.सु-वि.ब., मेट्रो रेल/कोलकाता एवं कॉंकण रेलवे,
सभी उत्पादन इकाइयाँ, कोर/प्रयागराज, निर्माण/उ-रे., अ.अ.मा.सं./लखनऊ,
निदेशक/रे.सु.ब. प्रशिक्षण केंद्र मौला-अली एवं खड़गपुर
निदेशक/जगजीवन राम रे-सु-ब. अकादमी/लखनऊ।
सुरक्षा परिपत्र सं. 02/2021
विषय: गाड़ियों और रेल परिसरों में महिलाओं के विरुद्ध अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश।
भारतीय रेल द्वारा प्रतिदिन दो करोड़ तीस लाख यात्री यात्रा करते हैं, जिनमें से 20 प्रतिशत अर्थात् छियालिस लाख महिलाएं होती हैं।
महिलाओं से प्राप्त मुख्य शिकायतें महिला उत्पीड़न, छेड़छाड़ और महिला सवारी डिब्बे में पुरुष यात्रियों के अनधिकृत प्रवेश से संबंधित होती हैं। उपनगरीय रेल तंत्र जैसे मुम्बई उपनगरीय रेल मैं महिला यात्री, धक्का देने, आपत्तिजनक रूप से छूने, जबरदस्ती छूने, डराने-धमकाने आदि से पीड़ित होती हैं। इसके अलावा, महिला यात्री चेन छीनना, मोबाइल छीनना, थैला उठाकर ले जाना और यात्री समान की चोरी की अन्य घटनाओं से भी पीड़ित होती हैं।
पिछले कुछ दिनों से गाड़ियों और रेल परिसरों में महिलाओं के विरुद्ध अपराध (बलात्कार सहित) की घटनाओं की संख्या में वृद्धि चिंता का मुख्य विषय बना हुआ है। अतः, महिला यात्रियों की सुरक्षा हेतु और रेलों में महित्राओं के विरुद्ध अत्याचार में कमी लाने के लिए एकजुट होकर समस्त भारतीय रेल में एक केन्द्रीकत प्रयास के रूप में निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:
अतिसंवेदनशीलता का आकलन
- सभी पोस्ट कमांडरों दवारा पिछले 5 वर्षों के दौरान रिपोर्ट की गई बलात्कार सहित महिलाओं के विरुद् हुए अपराध की घटनाओं का विवरण प्राप्त किया जाना चाहिए और डाटा का गहन विश्लेषण किया जाना चाहिए। ऐसे अपराधों के कारणों, सुरक्षा प्रक्रिया में कमी, सुरक्षा तंत्र की विफलता, शामिल अपराधियों की कार्य-प्रणाली, संवेदनशील स्थान, संवेदनशील समय अर्थात दिनखंड, दिन, माह इत्यादि पिछले मामलों की जांच एवं अभियोजन की स्थिति, की गई गिरफ्तारी, अपराधियों और उनके सहयोगियों आदि के बारे में राजकीय रेल पुलिस/स्थानीय पुलिस के समकक्षों, स्टेशन कर्मचारियों और स्वयंसेवी संगठनों के साथ समन्वय करके सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। उन्हें ऐसे अपराधों में शामिल अपराधियों के फोटो भी प्राप्त करने चाहिए और एक डाटाबेस बनाना चाहिए। महिला यात्रियों के विरुद्ध अपराध में शामिल अपराधियों के डाटाबेस को अपराध और आपराधिक ट्रेकिंग नेटवर्क प्रणाली (CCTNS)/आपराधिक न्याय प्रणाली (ICJS) और राज्य पुलिस डिजिटल डाटाबेस के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
- अनुभागीय सहायक सुरक्षा आयुक्त, पोस्ट प्रभारी द्वारा समर्पित प्रतिवेदन तथा प्रस्तावित समाधानों का विश्लेषण करेंगे तथा ऐसी घटनाओं से बचने के लिए रणनीति तैयार करेंगे और इसे म.सु.आ./वरि.म.सु.आ., को प्रस्तुत करेंगे, जो पुन: इसकी जांच करेंगे और रणनीति को कार्यान्वित करने के लिए रेलवे, पुलिस एवं नागरिक प्राधिकरणों के साथ सभी हितधारकों को सम्मिलित करते हुए समन्वित प्रयास करेंगे।
कार्य योजना
- कार्य योजना को अल्प अवधि एवं दीर्घ अवधि योजना में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। अल्प अवधि योजना को बिना किसी विलंब के प्राथमिकता पर मौजूदा संसाधनों के साथ तत्काल कार्यान्वित किया जाना चाहिए। इसमें संदिग्धों पर नज़र रखना, इयूटी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा उनके दौरे के दौरान संवेदनशील स्थानों पर नियमित रूप से जाना शामित्र है। बहरहाल, दीर्घ अवधि योजना, जिसमें आधारभूत अवसंरचना, सीसीटीवी, लाइट मास्ट्स आदि का सुधार सम्मिलित हो सकता है, जिसमें पर्याप्त समय लग सकता है, का नियमित रुप से संबंधित प्राधिकारियों दवारा मानिटरिंग करना चाहिए और जब तक यह कार्य पूरा न ही जाए तब तक छोटे-छोटे अस्थायी कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, जो परिस्थिति को सुधारने में तात्कालिक रूप में कारगर हो सकते हैं तथा जिन्हें न्यूलतम व्यय या उपलब्ध संसाधनों के साथ कार्यान्वित किया जा सकता है।
अपनाए जाने वाले सुरक्षात्मक उपाय
- रैलवे स्टेशनों, परिवाही (सर्कुलेटिंग) क्षेत्र, पार्किंग, पैदल पुलो, पहुँच मार्गों, प्लेटफॉर्म के छोरों, यार्डो, वाशिंग लाइनों, डीईएमयू/ईएमयू कार शेडों, सैलून साइडिंगों, अनुरक्षण डिपो आदि में चिहिनत सभी अतिसंवेदनशील स्थानों पर समुचित प्रकाश व्यवस्था की जानी चाहिए।
- प्लेटफॉर्मो/यार्डों में परित्यक्त ढांचों, परित्यक्त आवासों, अलग-थल्नग पड़े भवनों, जो अरक्षित/उपेक्षित हैं, उन्हें इंजीनियरिंग विभाग के परामर्श से तत्काल गिराया जाना चाहिए। जब तक कि वे गिराये नहीं जाते तब तक विशेष तौर पर रात्रि के समय या उस समय जब लोगों की मौजूदगी न्यूनतम हो, इयूटी पर तैनात कर्मचारी की बीट के भाग के रूप में नियमित रूप से इसकी जांच की जानी चाहिए।
- अनधिकृत प्रवेश/निकासों को बंद किया जाना चाहिए।
- याडों/गड॒ढों/स्टेशनों के आसपास के रेलवे क्षेत्र को अवांछित झाड़ियों से साफ रखना चाहिए, जो छिपने के लिए ढाल बन सकते हैं। दृष्टि बाधित करने वाले व्यू कटरों को हटाया जाना चाहिए चूंकि ये अपराधियों को अपराध करने का अवसर प्रदान कर सकते हैं।
- प्रतीक्षा कक्षों को मानव रहित नहीं रखना चाहिए और विशेष रूप से रात्रि के दौरान तथा उस समय जब यात्रियों की मौजूदगी न्यूनतम हो, तो समुचित प्रविष्टि के बाद ही प्रतीक्षा कक्षों में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। विषम घंटों में इयूटी अधिकारी द्वारा इसे क्रॉस चेक किया जाना चाहिए।
- यात्रियों से संबंधित सेवाओं में ठेके के आधार पर नियुक्त कर्मचारियों का उचित ढंग से पुलिस सत्यापन और पहचान पत्र मानक परिचालन प्रक्रिया एवं जी.सी.सी. के अनुसार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गाड़ियों और रेल परिसरों में किसी भी कर्मचारी को पहचान-पत्र के बिना प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- यार्डों और कोचिंग डिपो, जहां सवारी डिब्बों को रखा जाता है, वहां पर किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहां पर नियंत्रित प्रवेश प्रणाली होनी चाहिए।
- खाली रेकों को वॉशिंग लाइन में भेजे जाने से पूर्व, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सवारी डिब्बों को कैरेज एवं वैगन और विधुत विभाग के कर्मचारियों द्वारा उचित रूप से जांच एवं लॉक किया गया है। यार्ड/सिक लाइनों पर खड़े अनुपयोगी सवारी डिब्बों को लॉक रखना चाहिए और इनकी समय-समय पर जांच की जानी चाहिए।
- सवारी डिब्बों के अनुरक्षण से संबंधित साफ-सफाई एवं अन्य गतिविधियों के पश्चात् वाशिंग लाइन में इनकी उचित रूप से पुन: जांच की जानी चाहिए और इन्हें लॉक किया जाना चाहिए तथा लॉक स्थिति में ही प्लेटफॉर्म पर लाया जाना चाहिए।
- कोचिंग यार्डों एवं गोदामो में उचित आधारभूत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- कोचिंग डिपो एवं यार्डों में निगरानी प्रणाली भी प्रवर्तित की जानी चाहिए।
- अतिक्रमण को, विशेष रुप से यात्री क्षेत्र में/के पास न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए प्राथमिकता पर हटाया जाना चाहिए और रेलत्र परिसरों में अनधिकृत प्रवेश को बंद किया जाना चाहिए।
- रेलवे, यात्रियों को नि:शुल्क इंटरनेट सेवा मुहैया करा रही है। सेवा प्रदाताओं के समन्वय से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस सेवा के माध्यम से कामोत्तेजक साइटें सुलभ न हों।
- रैल परिसरों में अनजान/अनधिकृत व्यक्तियों को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाना चाहिए और अनजान एवं असामाजिक तत्वों से रेलवे स्टेशन, यार्डों एवं गाड़ियों को मुक्त रखना चाहिए।
- रैलवे स्टेशनों और गाड़ियों में मदिरापान करने वाले व्यक्तियों को पकड़ने और मुकदमा चलाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाने चाहिए।
- ऐसे अपराधों में शामित्र रेल कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
- महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों का तार्किक निष्कर्ष निकलने तक समुचित निगरानी की जानी चाहिए।
संवेदीकरण
- सभी रेल कर्मचारियों और ठेका कर्मचारियाँ की काउन्सलिंग की जाए | चल स्टॉक, पोर्टरों तथा फेरीवालों/विंडरों की जांच में लगे कर्मचारियों को बिना समय गँवाए पुलिस/रेैसुब या स्टेशन मास्टर को घटना की रपट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए स्वंयसेवी संगठनों की सहायता भी ली जाए।
- यह देखा गया है कि सामान्यतः नारी शोषण के मामलों पर कार्रवाई न हो तो इससे उत्पीड़न या महिलाओं पर हमले की घटनाओं में वृद्धि होती है। ऐसे अपराधों को रोकने के उपाय के रुप में, राजकीय रेल पुलिसरैल सुरक्षा बल अधिकारी किसी भी प्रकार के ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराध” से संबंधित शिकायत प्राप्त होने पर तत्काल आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
- चौंकी प्रभारियों /इयूटी अधिकारियों/शिफ्ट प्रभारियों द्वारा माउंटिंग पर कर्मचारियों की नियमित रूप से ब्रीफिंग और वापस आने पर वहां के बारे में डीब्रीफिंग सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- सभी क्षैत्रीय रेलें, स्वच्छता, महिलाओं के प्रति सम्मान, महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधानों और इन कानूनों के उल्लंघन के लिए दंड के प्रावधानों के प्रति रेल यात्रियों को संवेदनशील बनाने हैतु नुक्कड़ नाटकों आदि के लिए सांस्कृतिक मंडलियों का उपयोग कर सकती हैं।
- सभी विभागों के रेल कर्मियों को विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में व्यावहारिक कौशल और लिंग संवेदीकरण प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के प्रति उनके इयूटी के लिए संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। कर्मियों द्वारा उन महिलाओं को, जो संकट में हैं और उन बच्चों की जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है, की पहचान करने और उन्हें ठीक ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थानों/प्रशिक्षण केन्द्रों, जहां रेल कर्मचारी या रे.सु.ब. प्रारंभिक/आवधिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, वहां विशेष संवेदीकरण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- महिलाओं के लिए संवेदीकरण सत्र आयोजित किए जाएं ताकि वे आगे आएं और अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की घटनाओं की रिपोर्ट करा सकें।
चिहिनत संवेदनशील क्षेत्र पर निगरानी करना
- सीसीटीवी निगरानी प्रणाली का प्रभावी ठंग से उपयोग किया जाना चाहिए। लगाए गए कैमरों और उनके द्वारा कवर किए गए क्षेत्र का समय-समय पर ऑडिट किया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रेलवे प्लेटफॉर्मायात्री क्षेत्र में आने वाले सभी व्यक्ति कैमरे में दिखाई दें।
- ऐसे अपराधों के लिए चिहिनत संवेदनशील स्थानों को अनिवार्यत: सीसीटीवी निगरानी के अंतर्गत कवर किया जाना चाहिए। सीसीटीवी के स्थान निर्धारण/पुन:स्थान निर्धारण की योजना बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- प्लेटफॉर्म पर महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों की स्थिति निर्धारित की जानी चाहिए और सीसीटीवी कैमरा प्लेटफॉर्म पर विशेष रूप से उस स्थान पर लगाया जाना चाहिए जिससे इन सवारी डिब्बों को पर्याप्त रूप से कैमरे की परिधि में लाया जा सके।
- अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से सीसीटीवी फ़ीड की निगरानी की जानी चाहिए।
- बलात्कार और महिला शरीर से संबंधित अन्य जघन्य अपराध के लिए संवेदनशील रहने वाले चिहिनत क्षेत्र की निगरानी सुनिश्चित करने हेतु संबंधित रे.सु.ब. के निगरानी कर्मचारियों दवारा नियमित रूप से की जा रही निगरानी के अलावा अपराध आसूचना शाखा एवं विशेष आसूचना शाखा की सहायता ली जानी चाहिए।
- ऐसे क्षेत्र में रहने वाले अपराधियों की निगरानी करने के लिए यौन अपराधियों पर बने राष्ट्रीय डाटाबेस (NDSO) का उपयोग किया जा सकता है।
गाड़ियों में ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले विशेष उपाय
- अनुरक्षण पार्टी को गाड़ी में ऐसे जघन्य अपराध की संभावना को खत्म करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सही ठंग से बताया जाए। उन्हें रात्रि के समय अधिक सतर्क रहना चाहिए। जागो
- शौचालय ऐसे सार्वजनिक स्थान हैं, जहां पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। अत: शौचालयों के पास लोग की भीड़ को हटाया जाना चाहिए।
- सामान्यतः: कोच परिचायक/एसी मिस्त्री प्रवेश।निकास गेटों के पास उन्हें आवंटित सीटों पर रहते हैं, जो ऐसे स्थानों की निगरानी के लिए मददगार हो सकते हैं। अनुरक्षण पार्टी को इन कर्मचारियों और पेण्ट्री कार के कर्मचारियों के साथ वार्ता सुनिश्चित करनी चाहिए, जो गाड़ियों में घूमते रहते हैं और उन्हें ऐसी संदिग्ध गतिविधियों या ऐसे अपराध की संभावना के बारे में रिपोर्ट करने के लिए विश्वास में लेना चाहिए तथा अनुरक्षण स्टाफ को उचित ढंग से उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
- मेरी सहेली पहल के उचित कार्यान्वयन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अकेले या छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने वाली महिला यात्रियों की सुरक्षा का यथोचित ध्यान रखना चाहिए।
- अनुरक्षण स्टाफ को यात्रियों और विशेष रूप से महिला यात्रियों के साथ विनम्र रहने के लिए ब्रीफ किया जाना चाहिए।
- गाड़ी कप्तान/अधीक्षक को, गाड़ी में कार्यत सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के पहचान पत्रों को प्रति परीक्षण करने के लिए कहा जाना चाहिए। प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त/वरिष्ठ मण्डल सुरक्षा आयुक्त को गाड़ी में मौजूद सभी कर्मचारियों के बीच अच्छा समन्वय सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्य, बिजली, सिंगनल एवं दूरसंचार और यांत्रिक विभागों के अपने समकक्षों के साथ समन्वय करना चाहिए और यह सनिश्चित करना चाहिए कि समुचित पुलिस सत्यापन के पश्चात् सभी आउटसोर्स कर्मचारी अपना पहचान-पत्र पहनें। इन विभागों दवारा भी इनका प्रति परीक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सवारी डिब्बों में लगाए गए सीसीटीवी कैमेरे और आपात प्रतिक्रिया प्रणाली काम कर रहे हैं और सही ठंग से उनकी देखभाल की जा रही है।
- सामान्यतः, महिला सवारी डिब्बे गाड़ियों के अंतिम छोर पर गाड़ी गार्ड के नज़दीक/के साथ लगाए जाते हैं, जो कई स्थानों पर प्लेटफॉर्म क्षेत्र से बाहर रह जाते हैं। अनुरक्षण पार्टियां और स्टेशन पर मौजूद रे.सु.ब./रा-रे.पु. कर्मचारी यह सुनिश्चित करें कि हॉल्ट स्टेशनों पर इन डिब्बों की सही ढंग से निगरानी की जा रही है।
- गाड़ी अनुरक्षण एवं यार्डों में तैनात कर्मचारी को तब सावधान रहना चाहिए जब गाड़ी स्टेशन पर पहुँच रही हो या स्टेशन से निकल रही हो, जहां गाड़ी की गति सीमित होती है और अपराधी आमतौर पर चलती गाड़ी से कूद जाते हैं। वे सुनिश्चित करें कि गाड़ियों से कूदने वाले व्यक्तियों को पकड़ा जाता है और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए उनसे पूछताछ की जाती है।
यात्रियों के लिए सूचना
- हालांकि, गाड़ी टिकटों के पिछली ओर सहायता नम्बर का विवरण मुद्रित होता है, रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए सहायता नम्बरों का व्यापक प्रचार किया जाए।
- लोगों को पैन इंडिया आपात प्रतिक्रिया प्रणाली और अन्य महत्वपूर्ण मंच तथा अपराधों और उस क्षेत्र में विशेष रूप से महिलाओं के विरुद्ध हुए अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए उपलब्ध कॉलिंग सुविधाओं के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
- लोगों को “वन स्टॉप सेंटर” के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जो विशेष रूप से एक ही छत के नीचे हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सेवाएं जैसे चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सलाह/न्यायालय में मुकदमों के प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक सलाह और अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराने के लिए रचना आपात प्रतिक्रिया प्रणाली किया गया है।
- यात्रियों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मो पर संगत विज्ञापन प्रकाशित किए जाने चाहिए।
- ये अनुदेश केवल सांकेतिक हैं न कि व्यापक और फ्रंटलाइन पर कार्य करने वाले, फील्ड इकाइयां स्थानीय स्थितियों और परिस्थितियों के आधार पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्नअन्य तत्रों को क्रियान्वित कर सकते हैं।