Indian Railway has developed indigenous ATP System (Automatic Train Protection System), “Kavach”

Indian Railway has developed indigenous ATP System (Automatic Train Protection System), “Kavach” भारतीय रेल्र ने तीन भारतीय फर्मो के सहयोग से स्वदेशी एटीपी प्रणात्री (स्वचाल्नित गाड़ी सुरक्षा प्रणाली), “कवच” तैयार की है।

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF RAILWAYS

LOK SABHA 

STARRED QUESTION NO. 249
TO BE ANSWERED ON 03.08.2022 

KAVACH TECHNOLOGY IN RAILWAYS

249. SHRI KIRTI VARDHAN SINGH

Will the Minister of RAILWAYS be pleased to state:

(a) whether the Railways is aiming for zero train accidents by developing an indigenous safety device and if so, the details thereof;

(b) the time by which Kavach is likely to be installed in all the trains;

(c) the details of other benefits of this safety device; and

KAVACH TECHNOLOGY IN RAILWAYS

(d) whether the Railways is planning to export Kavach technology to other countries so as to earn foreign revenue and if so, the details thereof?

ANSWER
MINISTER OF RAILWAYS, COMMUNICATIONS AND ELECTRONICS & INFORMATION TECHNOLOGY

(SHRI ASHWINI VAISHNAW)

(a) to (d) : A Statement is laid on the Table of the House.

STATEMENT REFERRED TO IN REPLY TO PARTS (a) TO (d) OF STARRED QUESTION NO.249 BY SHRI KIRTI VARDHAN SINGH TO BE ANSWERED IN LOK SABHA ON 03.08.2022 REGARDING KAVACH TECHNOLOGY IN RAILWAYS

(a) Yes, Sir. In order to prevent accidents, due to human error resulting in “Signal Passing At Danger” and “Over speeding”, Indian Railway has developed indigenous ATP System (Automatic Train Protection System), “Kavach” in association with three Indian firms. This is achieved by automatic application of brakes whenever the train speed exceeds safety limits. “Kavach” also helps in train running during inclement weather such as dense fog when visibility of the signals is hampered.

(b) In July 2020, an in principle decision was taken to adopt ‘Kavach’ as the National Automatic Train Protection System of Indian Railway.

Works of Kavach for more than 35000 RKm (Route Kilometer) on High Density Network (HDN) / Highly Utilized Network (HUN) routes have been included in Works Programme of 2020-21 & 2021-22.

Keeping in view, the complexities involved in implementation, which require all Rolling Stock, way side stations and track to be equipped with Kavach, it has been decided to implement Kavach in a phased manner.

At present Kavach has been deployed on 1445 RKm of South Central Railway, on Bidar – Parli Vaijnath -Parbhani and Manmad – Parbhani – Nanded – Secunderabad – Gadwal – Dhone – Guntakal sections.

Indian Railways has also taken up deployment of Kavach on approximately 3000  RKm  of Delhi –  Mumbai & Delhi  –  Howrah corridors for which Tenders have been invited and are under evaluation.

Further, Indian Railways has taken up preparatory works including survey, Detailed Project Report (DPR) and preparation of detailed estimate on another 6000 RKm.

Roll out of Kavach shall be progressively taken up to cover entire network of Indian Railways.

(c) The benefits of “Kavach” system are

  • 1. Kavach is an aid to Loco Pilot to prevent consequences arising out of “Signal Passing At Danger” and overspeeding  by automatic application of brakes.
  • 2. Kavach controls speed of the train by automatic application of brakes in case Loco Pilot fails to do so on approach of turnouts, temporary speed restriction (TSR) and permanent speed restriction (PSR).
  • 3. The line side Signal Aspects are repeated in cab which is useful for higher speeds & foggy weather.
  • 4. Automatic whistling at LC gate.

(d) Yes, Sir. India is one of the few countries world over who have developed their own train protection technology.

Kavach has been  certified for  highest  level of Safety Integrity Level-SIL4 by Independent Safety Assessor. With this, Kavach has potential for adoption by other countries. It is envisaged that in future Kavach will be exported to other Countries.

भारत सरकार
रेल मंत्रालय

लोक सभा

03.08.2022 के
तारांकित प्रश्न सं. 249 का उत्तर

रेलवे में ‘कवच’ प्रौद्योगिकी

249. श्री कीर्ति वर्धन सिंह
क्या रेल मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः
(क) क्या रेलवे ने स्वदेशी सुरक्षा उपकरण विकसित करके शून्य ट्रेन दुर्घटनाओं का लक्ष्य रखा है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्‍या है;
(ख) सभी रेलगाड़ियों में ‘कवच’ प्रणाली कब तक लगाए जाने की संभावना है;
(ग) इस सुरक्षा उपकरण के अन्य लाभों का ब्यौरा क्या है; और

(घ) कया रेलवे विदेशी राजस्व अर्जित करने के लिए ‘कवच’ प्रौद्योगिकी का अन्य देशों में निर्यात करने की योजना बना रहा है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
उत्तर
रेल, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री
(श्री अश्विनी वैष्णव)
(क) से (घ): विवरण सभा पटल पर रख दिया गया है।
रेलवे में कवच प्रौद्योगिकी के संबंध में दिनांक 03.08.2022 को लोक सभा में श्री कीर्ति वर्धन सिंह के तारांकित प्रश्न सं. 249 के भाग (क) से (घ) के उत्तर से संबंधित विवरण।
(क): जी हां। मानवीय भूल के परिणामस्वरूप “खतरे का सिगनल पार करने” और अधिकतम गति के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए, भारतीय रेल्र ने तीन भारतीय फर्मो के सहयोग से स्वदेशी एटीपी प्रणात्री (स्वचाल्नित गाड़ी सुरक्षा प्रणाली), “कवच” तैयार की है। इस प्रणाली में गाड़ी की गति संरक्षा सीमा से अधिक होने पर स्वत: ब्रेक लग जाती है। “कवच” प्रणाली खराब माौसम, जैसे घने कोहरे के दौरान जब संकेतों की दृश्यता कम हो जाती है, में भी रेलगाड़ी चलाने में सहायता करती है।
(ख): जुलाई 2020 में भारतीय रेत्र की राष्ट्रीय स्वचालित गाड़ी सुरक्षा प्रणाली के रूप में ‘कवच’ को अपनाने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया था।
उच्च घनत्व नेटवर्क (एचडीएन)! अत्यधिक उपयोग किए गए नेटवर्क (एचयूएन) मार्गों पर 35000 मार्ग किलोमीटर से अधिक मार्ग पर कवच के कार्यों को 2020-21 और 2021-22 के निर्माण कार्यक्रम में शामिल किया गया है।
इसके कार्यान्वयन में जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए, जिसके लिए सभी रोलिंग स्टॉक, मार्गवर्ती स्टेशनों और रेल्रपथ को कवच से सुसज्जित करने की आवश्यकता होती है, कवच प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित करने का विनिश्चय किया गया है।
अभी तक, कवच प्रणाली को दक्षिण मध्य रेलवे के बीदर-परली बैजनाथ-परभनी और मनमाड- परभनी-नांदेड-सिकंदराबाद-गडवल-धोने-गुंतकल खंड के 1445 मार्ग किलोमीटर पर लगाया गया है।
भारतीय रेल ने दिल्‍ली-मुंबई और दिल्‍ली-हावड़ा गलियारों (ल्रगभग 3000 मार्ग किलोमीटर के कुल मार्ग) पर कवच प्रणाल्री को लगाने का कार्य शुरू कर दिया है। इन कार्यों के ल्रिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं और उनका मूल्यांकन किया जा रहा है।
इसके अलावा, भारतीय रेल ने सर्वेक्षण, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और अन्य 6000 मार्ग किलोमीटर पर विस्तृत अनुमान तैयार करने सहित प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिए हैं। कवच प्रणाली को भारतीय रेल के समग्र नेटवर्क पर चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जा रहा है।

(ग): कवच प्रणाली के लाभ निम्नानुसार हैं:

  • 1. कवच लोको पायलट के लिए एक सहायक उपकरण है जो “खतरे का सिगनल पार करने” पर होने वाले परिणामों को रोकता है और गाड़ी की अधिक गति होने पर स्वत: ब्रेक लगाता है।
  • 2. यदि लोको पायलट टर्नआउट, अस्थायी गति प्रतिबंध और स्थायी गति प्रतिबंध के समय ब्रेक नहीं लगाता है, तो कवच स्वत: ब्रेक लगाकर गाड़ी की गति नियंत्रित करता है।
  • 3. केबिन में लाइन साइड के सिगनल संकेतों को दोहराया जाता है जोकि अधिक गति और कोहरे के मौसम में बहुत उपयोगी है।
  • 4… रेल फाटक पर स्वतः सीटी बजाना।
(घ): जी हां। भारत दुनियाभर के उन देशों में से एक है जिन्होंने अपनी गाड़ी सुरक्षा प्रौद्योगिकी विकसित की है।
कवच प्रणात्री को स्वतंत्र संरक्षा मूल्यांकनकर्ता द्वारा संरक्षा संपूर्णता स्तर-एसआईएल4 के उच्चतम स्तर के लिए प्रमाणित किया गया है। इससे, कवच प्रणाली को अन्य देशों द्वारा अपनाए जाने की क्षमता है। यह परिकल्पना की गई है कि भ्रविष्य में कवच अन्य देशों को निर्यात किए जाएंगे।

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