Vocational education initiative in school education under the ‘Samagra Shiksha’ समग्र शिक्षा’ की छत्रछाया में स्कूल शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा की पहल
भारत सरकार
शिक्षा मंत्रालय
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग
अतारांकित प्रश्न संख्या-2068
उत्तर देने की तारीख : 19/12/2022
2068. श्री बालूभाऊ ऊर्फ सुरेश नारायण धानोरकर
क्या शिक्षा मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) कया सरकार ने युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने हेतु कोई निर्णय त्रिया है;
(ख) यदि हां, तो क्या प्रस्तावित व्यावसायिक शिक्षा के संबंध में कोई कार्य-योजना बनाई गई हैः
(ग) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है:
(घ) क्या सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा और रोजगार सृजन के लिए भारतीय औद्योगिक इकाइयों के साथ विचार-विमर्श किया है; और
(ड) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
उत्तर
शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री
(श्रीमती अन्नपूर्णा देवी)
(क) से (ग): युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
1. स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग केंद्रीय प्रायोजित योजना ‘समग्र शिक्षा’ की छत्रछाया में स्कूल शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा की पहल को लागू कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य सभी माध्यमिक/वरिष्ठ माध्यमिक विदयात्रयों में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शैक्षणिक शिक्षा के साथ एकीकृत करना है; छात्रों की रोजगार क्षमता और उद्यमशीलता क्षमताओं को बढ़ाना, कार्य परिवेश की नई समझ विकसित करना; और विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करना ताकि वे अपनी अभिरुचि, दक्षता और आकांक्षाओं के अनुसार चयन करने में सक्षम हो सकें। इस योजना में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल शामिल्र हैं। योजना के तहत कवर किए गए स्कूलों में कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के छात्रों के लिए राष्ट्रीय कौशल अहता रूपरेखा (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को योजना के तहत प्रस्तुत किया जाता है। माध्यमिक स्तर पर अर्थात कक्षा IX और X में, छात्रों को एक अतिरिक्त विषय के रूप में व्यावसायिक मॉइयूल को प्रस्तुत किया जाता है। वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर, अर्थात् कक्षा जा और जया में, व्यावसायिक पाठ्यक्रम अनिवार्य (वैकल्पिक) विषय के रुप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष बल दिया गया है। सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण और व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने को देश की शिक्षा प्रणाली में प्रमुख सुधारों के रूप में अभिज्ञात किया गया है। एनईपी के विभिन्न उद्देश्यों को
पूरा करने के लिए, समग्र शिक्षा की मौजूदा योजना को नया रूप दिया गया है और व्यावसायिक शिक्षा से संबंधित विभिन्न नए पहलुओं को शामिल किया गया है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- सरकारी स्कूलों सहित सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को भी कवर करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा के दायरे का विस्तार किया गया है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए आसपास के स्कूलों (स्पोक स्कूलों) के छात्रों द्वारा हब स्कूलों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे के उपयोग के लिए व्यावसायिक शिक्षा का हब और स्पोक मॉडल प्रस्तुत किया गया है।
- उच्च प्राथमिक स्तर पर पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा का एक्सपोजर।
- समग्र शिक्षा के नवाचार घटक के तहत इंटर्नशिप, बैगलेस दिन आदि को शामिल किया गया है।
ii. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एनएसक्यूएफ के तहत कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों को सुविधा प्रदान करने की पहल की है। संस्थानों को एकाधिक प्रवेश और निकास विकल्पों सहित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस्ड डिप्लोमा, बी वोक., पी.जी. डिप्लोमा, एम. वोक. और अनुसंधान के स्तर पर पूर्णकालिक क्रेडिट-आधारित कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है। कार्यक्रम के प्रत्येक सेमेस्टर/वर्ष में पाठयक्रम(मों) सामान्य शिक्षा और कौशल विकास घटकों का एक उपयुक्त मिश्रण है।
यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए वर्ष 2020 में प्रशिक्षुता/इंटर्नशिप युक्त डिग्री कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के अनुसार यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 22 (3) के तहत यूजीसी द्वारा यथा निर्दिष्ट किसी भी विषय में कोई भी यूजी डिग्री कार्यक्रम में प्रशिक्षुता/इंटर्नशिप युक्त डिग्री कार्यक्रम करने के लिए पात्र है। कौशत्न आधारित शिक्षा के लिए यूजीसी के कार्यक्रम जहां व्यावसायिक शिक्षा के साथ कुशलत्र कार्यबत्र को विकसित करने पर बल देते हैं, वहीं प्रशिक्षुता/इंटर्नशिप पर बल सामान्य शिक्षा मेँ छात्रों की रोजगार क्षमता में सुधार लाने के लिए है।
यूजीसी ने उपर्युक्त उद्देश्य के अनुसार अवर स्नातक कार्यक्रमों में पाठयचर्या और क्रेडिट फ्रेमवर्क प्रकाशित किया है। संशोधित प्रारूप में स्नातक कार्यक्रमों के पाठ्यचया घटक विभिन्न घटकों के लिए न्यूनतम क्रेडिट निधारित करते हैं जिसमें अन्य क्रेडिट साथ 2-4 क्रेडिट इंटर्नशिप, व्यावसायिक पाठ्यक्रम में 12 माइनर क्रेडिट, प्रथम/द््वितीय वर्ष के बाद कार्यक्रम पूर्ण नहीं करने वालों के लिए 4 क्रेडिट का व्यावसायिक निकास पाठ्यक्रम, सामुदायिक जुड़ाव और सेवा आदि शामिलत्र है। व्यावसायिक पाठयक्रमों को शामित्र करने का उद्देश्य एक समग्र शिक्षा प्रदान करना और सस्सनातकों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना भी है। पाठयक्रम छात्रों को स्थानीय उद्योगों, व्यवसायों, कलाकारों, शिल्पकारों आदि के साथ इंटर्नशिप के पर्याप्त अवसर भी प्रदान करता है। इसके सहित, यूजीसी उस समिति का हिस्सा है जिसने राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवक का मसौदा तैयार किया है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क एक व्यापक रूपरेखा है जो शैक्षणिक अधिगम, व्यावसायिक अधिगम और अनुभवात्मक अधिगम के निर्बाध एकीकरण को सक्षम बनाती है। यह रूपरेखा व्यावसायिक शिक्षा से सामान्य शिक्षा और सामान्य शिक्षा से व्यावसायिक शिक्षा को गतिशीलता प्रदान करती है।
iii. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कुशलता पाठ्यक्रमों को एकीकृत करने के लिए इंजीनियरिंग पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में लचीलापन लाया है। यह सीबीएसई / राज्य शिक्षा बोर्डों दवारा यथा मान्यता प्राप्त व्यावसायिक विषयों में से एक या विशेष डोमेन में बी. वॉक. वाले अभ्यर्थियों को एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों में बी.टेक कार्यक्रम के दूसरे वर्ष में पार्श्व प्रवेश के माध्यम से प्रवेश के लिए अनुमति देता है। एआईसीटीई ने स्वयं द्वारा अनुमोदित संस्थानों और केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों के लिए एआईसीटीई कर्मा (केएआरएमए) योजना का कौशल विस्तारण और पुनर्गठन मिशन का विमोचन किया है। इस योजना के तहत, संस्थानों को एनएसक्यूएफ के अनुसार स्कूल ड्रॉप आउट, डिग्री/डिप्लोमा कोर्स करने वाले छात्रों और संस्थानों के आसपास के सीबीएसई, राज्य बोर्डों के इच्छुक स्कूली छात्रों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अनुमोदित किया जाता है। फरवरी 2022 तक 1000 से अधिक संस्थान कर्मा (केएआरएमए) पोर्टल पर पंजीकृत हो गए हैं।
iv. कौशल विकास और उदयमिता मंत्रालय (एमएसडीई) 14,953 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से दीर्घकालिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) (631 जिलाभर में स्थापित 721 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र के माध्यम से (पीएमकेके), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) (286 जन शिक्षण संस्थान के माध्यम से) राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
v. कौशल विकास और उदयमिता मंत्रालय ने (एमएसडीई) ने शिक्षा मंत्रालय के समन्वय से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 (पीएमकेवीवाई 3.0) के केंद्रीय घटक के तहत दिनांक 01.01.2022 को प्रायोगिक योजना के रूप में स्किल हब इनिशिएटिव (एसएचआई) विमोचन किया है। एसएचआई सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण है और उसका कार्य व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी, 2020) के तहत परिकल्पित किया गया है। ड्रॉप-आउट और शिक्षा से वंचित अभ्यर्थियों को कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने हेतु स्किल हब अभिज्ञात नोडल कौशल केंद्र हैं।
vi. एमओएसडीई ने अभ्यर्थियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उद्योग की आवश्यकताओं के साथ पीएमकेवीवाई के तहत प्रशिक्षण को संरेखित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पीएमकेवीवाई के तहत, उद्योग की कौशल मांग के अनुसार अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद (एनएसडीसी) के माध्यम से मंत्रालय ने स्वायत्त उद्योग के नेतृत्व वाले निकायों के रूप में राष्ट्र कौशल अहँता फ्रेमवक (एनएसक्यूएफ़) संबंधी संरेखित जॉब रोल और पाठ्यचर्या पाठ्यक्रम, कौशल अंतर अध्ययन और प्रशिक्षणार्थियों का आकलन करने और प्रमाणित करने के लिए 37 सेक्टर कौशल परिषदों (एसएससी) को स्थापित करने की सुविधा प्रदान की है।
(घ) और (ड): कौशल विकास और उदयमशीलत्रता मंत्रालय (एमएसडीई) तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), कौशल पारिस्थितिकी तंत्र का सृजन करने एवं उसे बनाए रखने तथा बच्चों, युवाओं और वयस्कों का कौशल्र विकसित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचेम), भारतीय उदयोग परिसंघ (सीआईआई) जैसे उद्योग संघों और सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी), नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नासकॉम) आदि जैसे विभिन्न अन्य उदयोग प्रतिनिधियों के साथ परामश बैठकों, सेमिनारों, सम्मेलनों, शिखर सम्मेलनों और
कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं।
एआईसीटीई विभिन्न उभरते हुए फ़ील्डों और क्षेत्रों में कौशत्र विकास प्रशिक्षण से संबंधित सभी क्षेत्र कौशल परिषदों के साथ निरंतर संपर्क में है। एआईसीटीई ने भावी जॉब रोल्स और रोजगार में उभरते हुए भावी क्षेत्रों पर प्रकाश डालने के लिए पूरे देश में स्थित एसएससी, एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों के साथ विभिन्न वेबिनार भी आयोजित किए हैं ।
यूजी कार्यक्रमों के लिए पाठयचर्या और क्रेडिट रूपरेखा को अंतिम रूप देने में शामिल्र परामर्शी प्रक्रिया में दस्तावेजों को यूजीसी की वेबसाइट पर रखकर हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित करना शामिल्र है। मसौदा दस्तावेज पर देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से प्रतिक्रिया/मुझाव मांगने के अलावा, यूजीसी ने पाठ्यक्रम रूपरेखा पर सभी आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, एसोचैम, फिक्की, नैसकॉम, सीआईआई जैसे उदयोग निकायों आदि से भी प्रतिक्रिया आमंत्रित की। अवर स्नातक कार्यक्रमों से संबंधित पाठ्यक्रम और क्रेडिट रूपरेखा को अंतिम रूप देने से पहले उनके सुझावों पर विचार किया गया।
समग्र शिक्षा योजना के तहत, क्षेत्र कौशल परिषदों (एसएससी) और उदयोग के प्रतिनिधि निकायों के परामर्श से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को प्रस्तुत किया जाता है/उनका विकास किया जाता है। रोजगार कौशल मॉड्यूल को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अनिवार्य हिस्सा बना दिया गया है। इसमें संचार कौशल, स्व-प्रबंधन कौशल, सूचना ओर संचार प्रौद्योगिकी कौशल, उद्यमिता कौशल और हरित कौशल शामिल हैं।
नोट :- हमारे वेबसाइट www.indiangovtscheme.com पर ऐसी जानकारी रोजाना आती रहती है, तो आप ऐसी ही सरकारी योजनाओं की जानकारी पाने के लिए हमारे वेबसाइट www.indiangovtscheme.com से जुड़े रहे।
*****