Free Treatment of Poor in OPDs of Private Hospitals निजी अस्पतालों के ओपीडी विभागों में गरीब लोगों का नि:शुल्क उपचार

Free Treatment of Poor in OPDs of Private Hospitals निजी अस्पतालों के ओपीडी विभागों में गरीब लोगों का नि:शुल्क उपचार
 GOVERNMENT OF INDIA भारत सरकार
MINISTRY OF HEALTH AND FAMILY WELFARE DEPARTMENT
OF HEALTH AND FAMILY WELFARE

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग

RAJYA SABHA 
राज्य सभा

STARRED QUESTION NO.159

तारांकित प्रश्न संख्या: *159

TO BE ANSWERED ON THE 9TH MARCH, 2021

09 मार्च, 2021 को पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर

FREE TREATMENT OF POOR IN OPDs OF PRIVATE HOSPITALS 

निजी अस्पतालों के ओपीडी विभागों में गरीब लोगों का नि:शुल्क उपचार
159  SHRI SAMIR ORAON

159 श्री समीर उरांव

Will the Minister of Health and Family Welfare be pleased to state:
क्या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(a) whether there is a provision for 25 per cent reservation for free treatment of poor people in the OPDs of private hospitals as per current norms;
(क) क्या वर्तमान मानदंडों के अनुसार निजी अस्पतालों के ओपीडी विभागों में गरीब लोगों के नि:शुल्क उपचार हेतु 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है;

(b) if so, the details thereof;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(c) the details of the system incorporated by Government to ensure or verify the implementation of above provision by private hospitals; and

(ग) निजी अस्पतालों द्वारा उक्त प्रावधान का क्रियान्वयन सुनिश्चित तथा सत्यापति करने के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई प्रणाली का ब्यौरा क्‍या है; और

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(d) whether there is any provision to cancel the licences of the private hospitals in case of violation of provisions or norms fixed by Government, if so, the details thereof?

(घ) क्‍या निजी अस्पतालों द्वारा निर्धारित सरकारी प्रावधानों या मानदंडों के उल्लंघन के मामले में उनके लाइसेंस रद्द किए जाने का कोई प्रावधान है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्‍या है?

ANSWER उत्तर
THE MINISTER OF HEALTH AND FAMILY WELFARE 

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री 

(DR. HARSH VARDHAN)(डॉ. हर्षवर्धन)

(a) to (d) A Statement is laid on the Table of the House.
(क) से (घ): विवरण सदन के पटल पर प्रस्तुत है।

STATEMENT REFERRED TO IN REPLY TO RAJYA SABHA STARRED QUESTION NO.159* FOR 9TH MARCH, 2021

दिनांक 09.03.2021 के राज्य सभा तारांकित प्रश्न संख्या *159 के उत्तर में उल्लिखित विवरण

(a) to (d) As per Constitutional provisions, Health is a State Subject. It is for the concerned State/Union Territory (UTs) to ensure compliance of  all  applicable provisions, by the private hospitals as per the law applicable therein. However, regular reviews are done with the States/UTs to ensure accessible, affordable and qualitative health care to citizens visiting health facilities. The issues of such national importance are also taken up as Agenda items of various meetings with States and UTs.

Free Treatment of Poor in OPD

(क) से (घ): संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, स्वास्थ्य राज्य का विषय है। यह सुनिश्चित करना इन राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों का दायित्व है कि निजी अस्पतालों द्वारा संबद्ध राज्यों में लागू कानूनों के अनुरूप सभी प्रयोज्य प्रावधानों का अनुपालन किया जाए। तथापि, स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों मे आने वाले नागरिकों को सुगम, किफायती तथा गुणावत्तापूर्ण स्वास्थ्य परिचर्या प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। इस प्रकार के राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के साथ विभिन्न बैठकों की कार्य- सूची संबंधी मदों के रूप में भी उठाए जाते हैं।

As far as Clinical Establishments (Registration and Regulation) Act, 2010 (CE Act, 2010) is concerned, for grant of registration under the Act, the private hospitals located in the States/Union Territories (UTs), wherever the said Act is applicable, are required to comply with minimum standards of facilities and services. The minimum standards, as approved by the National Council for Clinical Establishments for hospitals include norms, which among others also include legal requirements to be complied with by the hospitals, as made applicable by the local/State health authority.

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जहां तक नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 का संबंध है, इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रदान करने के लिए राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों जहां कहीं उक्त अधिनियम लागू है, में स्थित निजी अस्पतालों को सुविधाओं और सेवाओं के न्यूनतम मानकों का अनुपालन करना अपेक्षित होता है । अस्पतालों के लिए राष्ट्रीय नैदानिक प्रतिष्ठान परिषद्‌ द्वारा किए गए अनुमोदन के अनुसार न्यूनतम मानकों में ऐसे मापदंड शामिल हैं, जिनमें ऐसी कानूनी अपेक्षाएं भी सम्मिलित होती हैं जो स्थानीय/ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा लागू की गई है, जिनका अनुपालन अस्पतालों द्वारा किया जाना होता है।
The Clinical Establishments Act, 2010 provides for cancellation of registration of private hospitals, if the conditions of the registration are not being complied with.

यदि पंजीकरण की शर्तों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है तो नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 2010 में निजी अस्पतालों के पंजीकरण को निरस्त करने का प्रावधान है।

The Clinical Establishments Act, 2010 as on date is applicable in 11 States namely Sikkim, Mizoram, Arunachal Pradesh, Himachal Pradesh, Uttar Pradesh, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand, Rajasthan, Assam and Haryana and all Union Territories except Delhi and Ladakh.

अब तक नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 2010, 11 राज्यों नामत: सिक्किम, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान, असम और हरियाणा राज्यों में तथा दिल्‍ली और लद्दाख के अलावा सभी संघ राज्य क्षेत्रों में लागू हैं।
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