Role of MSP in Doubling Farmers Income किसानों की आय को दोगुना करने में न्यूनतम समर्थन मूल्य की भूमिका
भारत सरकार
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न सं. 1432
23 सितंबर, 2020 को उत्तरार्थ
विषय: किसानों की आय को दोगुना करने में न्यूनतम समर्थन मूल्य की भूमिका
1432. श्री महेश पोद्दार
क्या कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः
(क) किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने क्या-क्या पहलें की हैं और इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की क्या भूमिका है;
(ख) वर्ष 2019-20 के लिए राज्यों ने एमएसपी के आवंटन हेतु क्या-क्या लक्ष्य निर्धारित किया है और लक्ष्य की तुलना में क्या उपलब्धियां रही हैं?
(ग) क्या सरकार उन राज्यों के किसानों को कुछ अतिरिक्त सुविधा प्रदान करेगी, जहां खरीद पर एमएसपी काफी कम है; और
(घ): क्या कुछ राज्यों ने ‘भावांतर मूल्य(किसानों को भुगतान किए गए पारिश्रमिक मूल्य और मंडियों में विक्रय मूल्य के बीच का अंतर) को न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधार बनाया है, यदि हां, तो क्या सरकार इसे दश भर में कार्यान्वित करेगी?
उत्तर
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर)
(क) से (ग): सरकार ने “किसानों की आय दोगुना करने” और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्यनीतियों की सिफारिश करने से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए अप्रैल, 2016 में एक अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की थी। समिति ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने हेतु कार्यनीतियों वाली रिपोर्ट सितंबर, 2018 में सरकार ने प्रस्तुत की। समिति द्वारा यथा संस्तुत डीएफआई रणनीति में आय बढ़ाने के 7 स्रोत शामिल हैं, जैसे- (i) फसल उत्पादकता में वृद्धि; (ii) पशुधन उत्पादकता में वृद्धि; (iii) संसाधन उपयोग की दक्षता या उत्पादन की लागत में बचत; (iv) फसल गहनता में वृद्धि; (v) उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर परिवर्तन; (vi) किसानों द्वारा प्राप्त किये जा रहे वास्तविक मूल्यों में सुधार; और (vii) कृषि से गैर-कृषि व्यवसायों मे परिवर्तन। डीएफआई समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद सरकार ने प्रगति की समीक्षा और निगरानी करने के लिए एक ‘अधिकार प्राप्त निकाय’ गठित किया है।
सरकार संबंधित राज्य सरकारों और केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और अन्य संगत कारकों के विचारों पर ध्यान देने के बाद कृषि लागत और कीमत आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर किसान की आय में अत्यधिक बढ़ावा देने के लिए 22 अनिवार्य फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और गन्ने के लिए उचित लाभकारी मूल्य निर्धारित करती है। वर्ष 2018-19 से एमएसपी उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के स्तर पर बनाए रखने हेतु पूर्व निर्धारित सिद्धांत पर तय की जाती है। तदानुसार, सरकार ने वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक रिटर्न के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की थी।
(घ): सरकार “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)” नामक छत्रक योजना के अंतर्गत भावांतर भुगतान योजना (पीडीपीएस) का कार्यान्वयन करती है। पीडीपीएस में पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से अधिसूचित मंडी यार्ड में निर्धारित अवधि के भीतर निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मानदंडों के तिलहन की बिक्री करते हुए पूर्व पंजीकृत किसानों को एमएसपी और बिक्री/मॉडल कीमत की बीच अंतर का प्रत्यक्ष भुगतान करने की परिकल्पना है। सभी भुगतान किसानों के बैंक खाते में सीधे किए जाते हैं। इस योजना में कोई वास्तविक खरीद शामिल नहीं होती है। पीडीपीएस के अंतर्गत किसानों द्वारा 25 प्रतिशत एमएसपी मूल्य (2 प्रतिशत प्रशासनिक लागत शामिल) तक प्राप्त एमएसपी और बिक्री/मॉडल कीमत अर्थात भावांतर के बीच अंतर की पूरी प्रतिपूर्ति का वहन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। केन्द्र सरकार की सहायता 25 प्रतिशत उत्पादन तक की मात्रा के लिए है। यदि कोई राज्य 25 प्रतिशत से अधिक मात्रा कवर करने का इच्छुक है तो उसको राज्य सरकरों के संसाधनों से वित्तपोषित किए जाने की आवश्यकता होती है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए सोयाबीन के लिए केएमएस 2018-19 के दौरान पीडीपीएस का कार्यान्वयन किया था।
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