किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ Benefits of Agricultural Schemes
विषय: किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ
1435 श्रीमती फूलो देवी नेतम:
क्या कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) सरकार द्वारा कृषि संबंधी लागत को कम करने के लिए कार्यान्वित की जा रही योजनाओं के नाम सहित तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(ख) उक्त योजनाओं के लिए कितना बजट आवंटित किया गया है और विगत पाँच वर्षों में इन पर कितना व्यय किया गया है;
(ग) उक्त योजनाओं से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या सहित तत्संबधी ब्यौरा क्या है;
(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर)
(क): कृषि एक राज्य का विषय है। भारत सरकार कई केन्द्र प्रायोजित और केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि यंत्रीकरण उप मिशन आदि जैसी खेती की लागत को कम करने के लिए राज्य सरकरों को सुविधा प्रदान करती है।
(ख): पिछले पांच वर्षों के दौरान, आवंटित बजट की राशि और उस पर खर्च की गई राशि को दर्शाने वाला विवरण निम्नानुसार है:
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (एसएचसी) (रूपए करोड़ में) |
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वित्तीय वर्ष |
आवंटन |
जारी |
2015-16 |
200.00 |
140.82 |
2016-17 |
368.30 |
229.16 |
2017-18 |
458.76 |
194.93 |
2018-19 |
384.19 |
315.71 |
2019-20 |
333.95 |
159.43 |
कृषि यंत्रीकरण उपमिशन (एसएमएएम) |
||
वर्ष |
बजट आवंटन |
खर्च की गई राशि |
(रूपए करोड़ में) |
||
2014-15 |
208.3 |
181.35 |
2015-16 |
177.85 |
151.74 |
2016-17 |
180.00 |
363.63 |
2017-18 |
577.58 |
791.04 |
2018-19 |
1200.00 |
1126.77 |
2019-20 |
1033.34 |
992.19 |
2020-21 (आज की स्थिति के अनुसार) |
1033.09 |
626.48 |
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- प्रति बूंद अधिक फसल (रूपए करोड़ में) |
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वित्तीय वर्ष |
आवंटन |
जारी |
2015-16 |
1073.13 |
1000.28 |
2016-17 |
2326.00 |
1990.57 |
2017-18 |
3395.00 |
2817.97 |
2018-19 |
3983.00 |
2915.64 |
2019-20 |
3486.65 |
2699.62 |
वर्ष |
लाभान्वित किसानों की संख्या |
2015-16 |
256.84 |
2016-17 |
817.28 |
2017-18 |
302.14 |
2018-19 |
873.56 |
2019-20 |
16.80 |
अप्रैल 2014 |
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अनुमोदित गतिविधियां |
||||||
कुल प्रशिक्षु प्रशिक्षित |
ट्रैक्टर |
|
स्थापित किए गए कुल हाईटेक हब |
|
||
( |
||||||
69138 |
1241592 |
12450 |
299 |
11334 |
- चावल-खेती की लागत में 16-25 प्रतिशत की कमी हुई है और नाइट्रोजन की बचत लगभग 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पाई गई है।
- दलहन-खेती की लागत में 10-15 प्रतिशत की कमी हुई है और 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया की बचत हुई है।
- तिलहन-खेती की लागत में 10-15 प्रतिशत की कमी हुई है और सूरजमुखी में 9 किलोग्राम/एकड़, मूंगफली में लगभग 23 किलोग्राम/एकड़ और अरंडी में लगभग 30 किलोग्राम/एकड़ नाइट्रोजन की बचत हुई है।
- नकदी फसलों-कपास के मामले में, खेती की लागत में 25 प्रतिशत की कमी हुई है और नाइट्रोजन उर्वरक पर बचत लगभग 35 किलोग्राम/एकड़ है।
- बागवानी फसलें-आलू में 46 किलोग्राम/एकड़ नाइट्रोजन की बचत देखी गई है।
- अनाज-धान में 10-20 प्रतिशत, गेहूं और ज्वार में 10-15 प्रतिशत के उत्पादन में वृद्धि।
- दलहन-दलहन के उत्पादन में 10-30 प्रतिशत की वृद्धि।
- तिलहन-तिलहन के उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि।
- कपास-कपास के उत्पादन में 10-20 प्रतिशत की वृद्धि।
- धान: लगभग 4500/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- तूर: लगभग 25,000-30,000/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- सूरजमुखी: लगभग 25,000/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- मूंगफली: लगभग 10,000/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- कपास: लगभग 12,000/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- आलू: लगभग 3000/-रू प्रति एकड़ की आय में वृद्धि।
- 32 प्रतिशत के औसत के साथ सिंचाई की लागत 50 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गई।
- बिजली की खपत लगभग 31 प्रतिशत कम हो गई।
- उर्वरकों की बचत 7 प्रतिशत से 42 प्रतिशत तक भिन्न-भिन्न होती है।
- फलों और सब्जियों की औसत उत्पादकता में लगभग 42.3 प्रतिशत और 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- किसानों की समग्र आय में वृद्धि 48.5 प्रतिशत के औसत के साथ 20 प्रतिशत से 68 प्रतिशत की सीमा में थी।
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