अब 4.3 करोड़ कर्मचारियों के हाथ आएगी अधिक सैलरी, ईपीएफ अंशदान में तीन महीनों के लिए कटौती लागू
Now 4.3 crore employees will get more salary, EPF contribution for three months
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अंशदान को जुलाई तक तीन महीनों के लिए मौजूदा 12 फीसदी से घटाकर 10 प्रतिशत करने के निर्णय को लागू कर दिया है। इस फैसले से संगठित क्षेत्र के 4.3 करोड़ कर्मचारी घर अधिक वेतन ले जा सकेंगे और कोरोना वायरस महामारी के चलते नकदी संकट से जूझ रहे नियोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगी। अनुमान है कि इस निर्णय से अगले तीन महीनों में 6,750 करोड़ रुपये की नकदी बढ़ेगी
श्रम मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि ईपीएफ योगदान में कमी मई, जून और जुलाई, 2020 के महीनों के लिए लागू होगी। ऐसे में जून, जुलाई और अगस्त में मिलने वाला वेतन अधिक होगा और नियोजकों के योगदान में भी कमी आएगी। इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी।
बता दें कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में कंपनी और कर्मचारी दोनों की ओर से किए जा रहे योगदान को अगले तीन महीनों (जून, जुलाई और अगस्त) के लिए 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। इस कदम के बारे में कहा गया है कि इससे कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (हाथ में अधिक पैसा) बढ़ेगी। इस फैसले पर वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से टेक होम सैलरी जरूर बढ़ेगी लेकिन कर देनदारी का बोझ भी अधिक होगा।
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इस तरह हाथ में आएगा अधिक पैसा
मान लेते हैं कि अभी आपका मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलकार 50 हजार रुपये है। इस रकम का 12 फीसदी आपको पीएफ खाते में प्रति माह योगदान देना होता है। यानी 6000 हजार रुपये का योगदान आप प्रति माह देते हैं। इतनी ही रकम का योगदान आपका नियोक्ता करता है। यानी कुल 12000 रुपये का योगदान प्रति माह पीएफ खाते में अभी तक होता है। वित्त मंत्री द्वारा 2% की कमी करने से कुल योगदान 24 फीसदी से घटकर 20 फीसदी हो जाएगा। यानी पीएफ खाते में 10 हजार रुपये ही जमा करना होगा। इस तरह आपके हाथ में 1000 रुपये प्रति माह बढ़कर आएगा।
इस तरह बढ़ेगी कर की देनदारी
फिनसेफ इंडिया के संस्थापक, मृण अग्रवाल के अनुसार, ईपीएफ में योगदान घटने से व्यक्तिगत करदाताओं को उनके टैक्स स्लैब के अनुसार बोझ बढ़ेगा। जो करदाता उच्च स्लैब में आते हैं उनको अधिक कर चुकाना होगा। अगर उच्च श्रेणी के करदाता की सैलरी में 1000 रुपये का इजाफा होता है तो उसके हाथ में 700 रुपये ही आएगा। 300 रुपये कर चुकाने में चला जाएगा। कर देनदारी से बचने के लिए वह आयकर की धारा 80सी के तहत अधिक निवेश कर छूट पा सकता है।
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रिटायरमेंट फंड भी असर होगा
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए ईपीएफओ एक बेहतरीन माध्यम है। रिटायरमेंट के बाद एक मुश्त बड़ी रकम मिलती है। ईपीएफओ में योगदान कम करने से रिटायरमेंट कॉर्पस पर भी असर होगा। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इस कटौती से वेतनभोगी वर्ग को लाभ कम और नुकसान अधिक होगा।
इन लोगों के लिए सरकार दे रही है योगदान
पीएम गरीब कल्याण पैकेज के तहत जिन कंपनियों में 100 कर्मचारी तक मौजूद हैं और इनमें से 90 फीसदी कर्मचारी 15 हजार रुपये से कम महीने में कमाते हैं, ऐसी कंपनियों और उनके कर्मचारियों की ओर से EPF में योगदान मार्च से लेकर अगस्त 2020 तक के लिए सरकार की ओर से दिया जा रहा है।
Source: https://www.livehindustan.com
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