दीपक कुमार
प्रमुख सचिव
उत्तर प्रदेश शासन।
1 आवास आयुक्त,
उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ ।
2. उपाध्यक्ष,
समस्त विकास प्राधिकरण,उत्तर प्रदेश।
3 अध्यक्ष/जिलाधिकारी,
समस्त विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण,
उत्तर प्रदेश।
विषयः वन-टाईम सेटेलमेंट योजना (ओ.टी.एस. योजना) 2020 के संचालन के सम्बन्ध में।
- ओ.टी.एस. योजना, समस्त प्रकार की आवासीय सम्पत्तियों (ग्रुप हाउसिंग सहित) पर लागू होगी, चाहे वे आवंटन पद्धति से आवंटित हों या नीलामी पद्धति से हो या अन्य पद्धति से आवंटित हो।
- समस्त प्रकार की सरकारी संस्थाओं को आवंटित सम्पत्तियों पर ओ.टी.एस. योजना लागू होगी, जिसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार व सरकारी उपक्रमों को आवंटित सम्पत्तियाँ भी सम्मिलित होंगी।
- विभिन्न प्रकार के स्कूल भूखण्डों एवं चैरीटेबल संस्थाओं, आदि को आवंटित सम्पत्तियों पर भी ओ.टी.एस. योजना लागू होगी।
- समस्त प्रकार की व्यवसायिक सम्पत्तियों, चाहे नीलामी द्वारा अथवा अन्य पद्धति से आवंटित हों, पर ओ.टी.एस. योजना लागू होगी।
- सहकारी आवास समितियों को आवंटित सम्पत्तियों पर भी ओ.टी.एस. योजना लागू होगी।
- ओ.टी.एस. योजनान्तर्गत सभी डिफाल्टर आवंटियों से साधारण ब्याज़, जो सम्पत्ति आवंटन के समय किस्तों के निर्धारण पर लागू ब्याज़ दर के बराबर होगा, लिया जायेगा।
- आवंटियों से किसी भी प्रकार का दण्ड ब्याज़ नहीं लिया जायेगा। डिफाल्ट की अवधि का ब्याज़ उपरिलिखित सिद्धान्त (1) के अनुसार लिया जायेगा।
- आवंटी द्वारा किये गये भुगतान को सर्वप्रथम डिफाल्ट की अवधि तक ओ.टी.एस. आधार पर आगणित ब्याज, तदोपरान्त बकाया मूल धनराशि के सापेक्ष समायोजित किये जायेंगे।
- ओ.टी.एस. योजना में गणना के उपरान्त यदि अधिक जमा (Surplus) धनराशि आती है, तो उस धनराशि का समायोजन अन्य व्ययों जैसे-फ्री होल्ड चार्ज़, वाटर सीवर चार्ज़ एवं अन्य व्ययों में किया जा सकेगा। इसके बावजूद भी यदि Surplus धनराशि बचती है, तो उसे वापस नहीं किया जायेगा।
- यदि किसी आवंटी द्वारा स्वानुरोध अथवा किसी शासनादेश के क्रम में देयों/किस्तों का पुनर्निर्धारण कराया गया है, तो ऐसे प्रकरणों में ओ.टी.एस. की गणना सम्पत्ति के आवन्टन के समय निर्धारित किस्तों एवं ब्याज़ के अनुरूप की जाएगी।
क्र.सं. | सम्पत्तियों का प्रकार | प्रोसेसिंग फीस (जी.एस.टी. सहित) (रु0) | आवेदन के साथ जमा की जाने वाली प्रारम्भिक धनराशि (रू0) |
अभ्युक्ति |
1. | ई.डब्ल्यू.एस. भवन/भूखण्ड | 100 | 5,000 | ओ.टी.एस. आवेदन पत्र के साथ जमा की जाने वाली धनराशि,आगणित लागत/देय धनराशि में समायोजित हो सकेगी। परन्तु प्रोसेसिंग.. फीस ओ.टी.एस. का मात्र शुल्क है, इसे किसी भी देय धनराशि में समायोजित नहीं किया जायेगा। |
2. | एल.आई.जी. भवन/भूखण्ड | 500 | 10,000 | |
3. | अन्य श्रेणी की आवासीय एवं मिश्रित उपयोग की सम्पत्तियों तथा व्यावसायिक निर्मित दुकानों व दुकानों के भूखण्डों पर |
2,100 | 50,000 | |
4. | ग्रुप हाऊसिंग | 11,000 | 5,00,000 | |
5. | संस्थागत सम्पत्तियाँ | 11,000 | 5,00,000 | |
6. | क्रम संख्या-3 के अतिरिक्त अन्य समस्त व्यवसायिक सम्पत्तियों पर |
11,000 | 5,00,000 |
- शासनादेश निर्गत होने के 01 माह तक सभी डिफाल्टर्स को ई-मेल/एस.एम.एस./पत्र के माध्यम से सूचित करते हुए एवं योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार (शिविर/गोष्ठी का आयोजन, होडिंग आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाय) करते हुए इसके संचालन हेतु अन्य आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
- तत्पश्चात ओ.टी.एस. हेतु आवेदन-पत्र देने के लिए 03 माह की अवधि निर्धारित की जाती है। इस तिथि के बाद कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जायेगा।
- ओ.टी.एस. आवेदन-पत्र जमा करने की तिथि वही मानी जायेगी, जिस तिथि को आवेदन पत्र के साथ अपेक्षित प्रोसेसिंग फीस तथा प्रारम्भिक धनराशि ऑनलाईन /ऑफलाईन जमा कर दी गयी हो।
- आवंटियों द्वारा आवेदन आफ लाईन/ऑनलाईन किया जा सकेगा। ऑनलाईन आवेदन किये जाने हेतु ओ.टी.एस. योजना का आवास बन्धु की वेबसाईट (www.awasbandhu.in) के होमपेज पर लिंक OTS2020 उपलब्ध है (जो दिनांक 06 मार्च, 2020 से क्रियाशील होगा), जिसके माध्यम से आवंटियों द्वारा ऑनलाईन आवेदन किया जाएगा। आवेदकों के लिए ऑनलाईन आवेदन की प्रक्रिया सुविधाजनक बनाने हेतु आवास एवं विकास परिषद तथा विकास प्राधिकरणों द्वारा हेल्प-डेस्क की व्यवस्था भी की जाए्गी।
- ओ.टी.एस. गणना के उपरान्त गणनाशीट एवं वॉछित धनराशि जमा करने की सूचना आवंटी द्वारा दिये गये ई-मेल /एस.एम.एस./पत्र व्यवह्वार से दी जायेगी।
- ओ.टी.एस. आवेदनों का निस्तारण आवेदन प्राप्ति की तिथि से 03 माह में किया जायेगा। तत्पश्चात प्रवर्तन (इंफोर्समेंट) की कार्यवाही सुनिश्चित किया जायेगा। जिन प्रकरणों में ओ0टी0एस0 हेतु आवेदन पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसे डिफाल्टरों के विरूद्ध नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी। इसके अतिरिक्त अन्तिम तिथि के बाद अनिस्तारित आवेदनों के सम्बन्ध में विकास प्राधिकरण /आवास एवं विकास परिषद के कार्मिकों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर प्राधिकरण/परिषद को हुयी वित्तीय क्षति की वसूली हेतु कार्यवाही की जायेगी।
- ओ.टी.एस. गणना के उपरान्त यदि देय धनराशि रू. 50.00 लाख तक हो, तो उक्त धनराशि का 1/3 भाग, मांग-पत्र डिस्पैच (‘डिस्पैच” का तात्पर्य एस.एम.एस., ई-मेल एवं हार्ड कॉपी से है) होने की तिथि से 30 दिन में और अवशेष 2/3 भाग, 03 मासिक किस्तों में 03 माह में जमा करना होगा अर्थात् सम्पूर्ण धनराशि कुल चार माह में जमा करनी होगी।
- ओ.टी.एस. गणना के उपरान्त यदि देय धनराशि रू. 50.00 लाख से अधिक हो, तो उक्त धनराशि का 1/3 भाग, मांग-पत्र डिस्पैच होने की तिथि से 30 दिन में और अवशेष 2/3 भाग, 03 द्विमासिक किस्तों में 06 माह में जमा करना होगा, अर्थात् सम्पूर्ण धनराशि कुल सात माह में जमा करनी होगी।
- अन्तिम किस्त हेतु निर्धारित तिथि तक यदि सूचित की गई समस्त किस्तों की धनराशि जमा कर दी जाती है, तो ओ.टी.एस. मान्य होगा अन्यथा ओ.टी.एस. निरस्त हो जाएगा। यदि सूचित की गई किस्तें विलम्ब से जमा की जाती हैं, तो वित्रम्ब की अवधि के लिए 11 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज़ देय होगा।
- डाउन पेमेन्ट (1/3 धनराशि) के भुगतान के उपरान्त अवशेष 2/3 धनराशि के भुगतान हेतु निर्धारित किस्तों पर 11 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज़ देय होगा।
- ओ.टी.एस. में आगणित सम्पूर्ण देय धनराशि को मांग-पत्र डिस्पैच होने की तिथि से 30 दिन के अन्दर एकमुश्त (Upfront) जमा करने पर सम्पूर्ण देय धनराशि पर 02 प्रतिशत की छूट होगी।
- ओ.टी.एस. गणना के उपरान्त विकास प्राधिकरण/आवास एवं विकास परिषद को देय कोई धनराशि का भुगतान यदि निर्धारित समय-सीमान्तर्गत आवंटी द्वारा नहीं किया जाता है, तो उसकी वसूली उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-40/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद अधिनियम, 1965 की धारा-91 के अधीन भू-राजस्व के बकाये की भांति की जाएगी।
- 1. प्रमुख सचिव, मा. मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन।
- 2. प्रमुख सचिव, स्टाम्प एवं निबंधन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन।
- 3. महानिरीक्षक, निबंधन को सभी प्राधिकरणों /समस्त विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों /आवास विकास परिषद में सब-रजिस्ट्रार की उपलब्धता इस अवधि में सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश निर्गत करने हेतु।
- 4.समस्त मण्डलायुक्त, उ0प्र0।
- 5. समस्त जिलाधिकारी, उ0प्र0।
- 6. निजी सचिव, मा. मुख्यमंत्री जी/मा. राज्य मंत्री जी आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, उ.प्र. शासन।
- 7. मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उ.प्र., लखनऊ ।
- 8. निदेशक, आवास बन्धु को इस आशय से प्रेषित कि उक्त शासनादेश को विभागीय वेबसाईट पर अपलोड करते हुए हितबद्ध एवं जनसामान्य को उपलब्ध कराने तथा अपने से संबंधित बिन्दुओं पर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
- 9. गॉर्ड फाईल।
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