कोरोना वायरस के कारण सात बड़े शहरों में सस्ते होंगे मकान, नए घर की चाबी में एक साल की देरी संभव बिक्री में हो सकती है 35 प्रतिशत तक गिरावट हो सकती हैं।
संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी एनरॉक के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस साल देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 35 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। ये शहर हैं दिल्ली-एनसीआर ( गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद।
कंपनी ने एक रिपोर्ट में कहा कि व्यावसायिक संपत्तियों की बिक्री पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पट्टे पर कार्यालय लिये जाने की गतिविधियों में 30 प्रतिशत तक की तथा खुदरा क्षेत्र में 64 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ”नरम मांग तथा नकदी की खराब स्थिति से पहले से ही जूझ रहे भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर कोविड-19 के कारण भी प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है।
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प्रॉपर्टी विशेषज्ञों का कहना है कि अगले छह महीनों में पूरी तरह से मजदूरों की वापसी होने के साथ ही बिल्डरों के लिए ताजा आर्थिक हालात में फंड जुटाना भी एक समस्या ही है। ऐसे में उनकी तरफ से भी देरी होगी। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट की डिलिवरी में एक साल का समय और लगेगा। ऐसे में डेवलपर्स को सरकार की ओर से रियायत देने की मांग बढ़ रही है।
देश में कोरोना महामारी के चलते रियल एस्टेट सेक्टर पर संकट के बादल और गहराने के आसार हैं। मौजूदा दौर में साढ़े पंद्रह लाख यूनिटों का कामकाज लॉकडाउन के चलते रुका हुआ है। शहरों से मजदूरों के पलायन के चलते फंसे और हाल ही में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट में छह महीने से लेकर एक साल तक की देरी की आशंका जताई जा रही है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक देश के सात बड़े शहरों में 15.62 लाख यूनिटों पर काम चल रहा था जो देशव्यापी लॉकडाउन से बिल्कुल बंद है। ये बन रहे वो घर हैं जिन्हें 2013 से 2019 के आखिर के बीच लॉन्च किया गया था।
सबसे ज्यादा बुरे हालात दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में
रिपोर्ट के मुताबिक कुल फंसे हुए घरों में सबसे ज्यादा बुरे हालात दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और मुंबई में हैं। इन इलाकों में कुल 57 फीसदी यानी 8.90 लाख यूनिटों में काम रुका हुआ है। कंपनी के डायरेक्टर रिसर्च प्रशांत ठाकुर ने हिन्दुस्तान को बताया कि लॉकडाउन के चलते न सिर्फ इन इलाकों में निर्माण रुका हुआ है बल्कि डेवलपर्स की आर्थिक हालात भी बिगड़ती जा रही है। जानकारों की राय में सरकार को एक बार महामारी खत्म होने के बाद सरकार को पूरे सेक्टर की मुश्किलों की समीक्षा करनी चाहिए।
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प्रॉपर्टी विशेषज्ञों का कहना है कि अगले छह महीनों में पूरी तरह से मजदूरों की वापसी होने के साथ ही बिल्डरों के लिए ताजा आर्थिक हालात में फंड जुटाना भी एक समस्या ही है। ऐसे में उनकी तरफ से भी देरी होगी। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट की डिलिवरी में एक साल का समय और लगेगा। ऐसे में डेवलपर्स को सरकार की ओर से रियायत देने की मांग बढ़ रही है।
Source : https://www.livehindustan.com
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