कुछ महवपूर्ण बातें
- सॉयल हैल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना क्या है?
- सॉयल हैल्थ कार्ड क्या है?
- सॉयल हैल्थ कार्ड का प्रयोग किसान किस प्रकार कर सकता है?
- क्या किसान प्रत्येक वर्ष और प्रत्येक फसल के लिए एक कार्ड प्राप्त करेंगें?
- नमूने लेने के मानक क्या है?
- मिट्टी नमूने कौन लेगा?
- मिट्टी नमूने लेने का उचित समय क्या है?
- किसान के खेत में मिट्टी नमूने कैसे एकत्रित किए जाएंगे?
- मिट्टी जाँच प्रयोगशाला क्या है?
- मिट्टी नमूने की जाँच कौन और कहां करेगा?
- मृदा स्वास्थ्य परीक्षण की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाएंगी?
सॉयल हैल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना क्या है?
यह भारत सरकार, कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग के द्वारा चलाई जा रही एक योजना है। इसका कार्यान्वयन सभी (1) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय राज्य एवं केंद्र शासित (2) कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग सरकारों के कृषि विभागों के माध्यम से किया जाएगा। सॉयल हैल्थ कार्ड का उद्देश्य प्रत्येक किसान को उसके खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी देना है और उन्हें उर्वरकों की सही मात्रा के प्रयोग और आवश्यक सॉयल सुधारों के संबंध में भी सलाह देना है ताकि लंबी अवधि के लिए सॉयल हैल्थ को कायम रखा जा सके।
सॉयल हैल्थ कार्ड क्या है?
एसएचसी एक प्रिटिंग रिपोर्ट है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोतों के लिए दिया जाएगा। इसमें 12 पैरामीटरों जैसे एनपीके (मुख्य-पोषक तत्व) (गौण-पोषक तत्व)जिंक, लोहा, कॉपर, मैग्नीशियम, बोरॉन (सूक्ष्म-पोषक तत्व) अंड पीएच, इसी, ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में उनकी सॉयल की स्थिति निहित होगी। इसके आधार पर एसएचसी में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों को भी दर्शाया जाएगा।
सॉयल हैल्थ कार्ड का प्रयोग किसान किस प्रकार कर सकता है?
कार्ड में किसान के जोत की मृदा पोषक तत्व स्थिति के आधार पर सलाह निहित होगी। इसमें विभिन्न आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा के संबंध में सिफारिशों को दर्शाया जाएगा। इसके अलावा इसमें किसानों को उर्वरकों और उसकी मात्रा के संबंध में सलाह दी जाएगी, जिसकों उन्हें प्रयोग करना चाहिए और मृदा सुधारकों की भी स्थिति के बारे में सलाह दी जाएगी जिसे उन्हें प्रयोग करना चाहिए, जिससे की उपज का अनुकूल लाभ प्राप्त किया जा सके।
क्या किसान प्रत्येक वर्ष और प्रत्येक फसल के लिए एक कार्ड प्राप्त करेंगें?
यह 3 वर्ष के अंतराल के बाद उपलब्ध कराया जाएगा, जो उस अवधि के लिए किसान की जोत के मृदा स्वास्थ्य की स्थिति को दर्शाएगा। अगले 3 वर्ष में दिया गया एसएचसी उस अनुवर्ती अवधि के लिए मृदा स्वास्थ्य में परिवर्तनों को रिकॉर्ड करने में समर्थ होगा।
नमूने लेने के मानक क्या है?
मिट्टी नमूने जीपीएस उपकरण और राजस्व मानचित्रों की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हें. और वर्षा सिंचित क्षेत्र में 10 हें. के ग्रिड से लिए जाएंगे।
मिट्टी नमूने कौन लेगा?
राज्य सरकार उनके कृषि विभाग के स्टाफ या आउटसोर्स एजेंसी के स्टाफ के माध्यम से नमूने एकत्रित करेगी। राज्य सरकार क्षेत्रीय कृषि महाविद्यालयों अथवा साइंस कॉलेज के विद्यार्थियों को भी शामिल कर सकती है।
मिट्टी नमूने लेने का उचित समय क्या है?
क्रमश: रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद सॉयल नमूने सामान्यत: वर्ष में 2 बार लिए जाते हैं, या जब खेत में कोई फसल न हो।
किसान के खेत में मिट्टी नमूने कैसे एकत्रित किए जाएंगे?
मिट्टी नमूने “V” आकार में मिट्टी की कटाई के उपरान्त 15-20 सें.मी. की गहराई से एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा एकत्रित किए जाएंगे और पूरी तरह से मिलाएं जाएंगे और इसमें एक भाग नमूने के रूप में लिया जाएगा। छाया वाले क्षेत्र को छोड़ दिया जाएगा। चयनित नमूने को बैग में बंद किया जाएगा और कोड नंबर दिया जाएगा। इसके उपरांत इसे विश्लेष्ण के लिए सॉयल जाँच प्रयोगशाला को भेज दिया जाएगा।
मिट्टी जाँच प्रयोगशाला क्या है?
यह प्रश्न सं. (1) के उत्तर में दर्शाये गये अनुसार 12 पैरामीटरों पर मिट्टी नमूने जाँच के लिए एक सुविधा है। यह सुविधा स्थाई, मोबाईल प्रयोगशाला या दूरस्थ क्षेत्रों में प्रयोग किए जाने हेतु पोर्टेबल भी हो सकती है।
मिट्टी नमूने की जाँच कौन और कहां करेगा?
मिट्टी नमूने निम्नलिखित तरीके से सहमत किए गए सभी 12 पैरामीटरों पर अनुमोदित मानकों के अनुसार जाँच किए जाएंगे।
- कृषि विभाग के स्वामित्व में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला पर और उनके स्वयं के स्टाफ के द्वारा
- कृषि विभाग के स्वामित्व में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला पर परन्तु बाह्य सोर्स एजेंसी के स्टाफ द्वारा
- कृषि विभाग के स्वामित्व में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला पर और स्टाफ द्वारा
- केवीके और एसएयू सहित आईसीएआर संस्थानों पर
- एक प्रोफेसर/वैज्ञानिक के पर्यवेक्षण के तहत विज्ञान कॉलेज/विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं पर विद्यार्थियों द्वारा।
मृदा स्वास्थ्य परीक्षण की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाएंगी?
राज्य सरकारों द्वारा प्राथमिक प्रयोगशालाओं के परिणामों के विश्लेष्ण एवं प्रमाणीकरण हेतु एक वर्ष में जांचे गए कुल नमूनों का 1% रैफरल प्रयोगशाला में भेजा जायेगा।