रेल यात्रा सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेलवे लिंके होफमान बुश (LHB) डिजाइन कोच का उपयोग करने और पुराने आईसीएफ डिजाइन कोच के उत्पादन को रोकने का फैसला किया है. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) डिजाइन कोच की तुलना में, एलएचबी डिजाइन कोच वजन में हल्का है. इतना ही नहीं, एलएचबी कोच के पास बेहतर ढुलाई के साथ-साथ हाई स्पीड क्षमता भी है. भारतीय रेलवे का कहना है कि इन सुविधाओं के अलावा, एलएचबी डिजाइन कोच ने बेहतर सुरक्षा सुविधाओं में बढ़ोतरी की है. एलएचबी कोच में एंटी-क्लाइम्बिंग जैसी विशेषताएं होती हैं, ताकि टकराव की स्थिति में कोच एक-दूसरे पर न चढ़ सके.
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
रेल मंत्रालय
17-सितम्बर-2019 17:32 IST
अब तक 342 गाडि़यों को एचओजी में परिवर्तित किया जा चुका है इस कदम से लगभग 800 करोड़ रुपये की बचत की योजना हैं।
रेलगाडि़यों में वातानुकूलन और बिजली आपूर्ति की प्रणाली को बदला जाना है। इस नये प्रौद्योगिकी परिवर्तन से प्रतिवर्ष लगभग 1400 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इस नई प्रौद्योगिकी को ‘हैड ऑन जेनरेशन टेक्नोलॉजी’ (एचओजी) कहा जाता है, जिसके तहत ओवरहैड बिजली आपूर्ति का इस्तेमाल किया जाएगा। शोर करने और धुआं निकालने वाले जेनरेटर कोचों का इस्तेमाल अब नहीं होगा। इनके स्थान पर अब एलएसएलआरडी (एलएचबी सेकेंड लगेज, गार्ड और दिव्यांग कम्पार्टमेंट) होंगे। इस एलएसएलआरडी में ओवरहैड बिजली सप्लाई को इस्तेमाल करने की क्षमता होगी, जिससे पूरी गाड़ी को बिजली मिलेगी। इसके अलावा इसमें लगेज गार्ड रूम और अतिरिक्त यात्रियों के लिए भी जगह होगी। इस समय 36 रुपये प्रति यूनिट बिजली खर्च आता है तथा एचओजी से यह खर्च 6 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगा।
विवरण की जानकारी देते हुए रोलिंग स्टॉक सदस्य श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि साल भर में सभी एलएचबी गाडि़यों को एचओजी प्रणाली में बदलने की योजना है। अब तक 342 गाडि़यों को एचओजी में बदला जा चुका है, जिसके कारण प्रति वर्ष लगभग 800 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। वर्ष 2017 में एलएचबी प्रौद्योगिकी को अपनाने का निर्णय किया गया था। इस निर्णय के बाद एचओजी परिवर्तन को अपनाने का काम अभियान स्तर पर शुरू किया गया। इसके तहत सभी कारों और कोचों की बिजली आपूर्ति प्रणाली में परिवर्तन किया गया। प्रणाली परिवर्तन का काम जोनल रेलवे के सुपुर्द किया गया है। इससे स्टेशनों पर यात्रियों को शोर मुक्त और प्रदूषण मुक्त वातावरण मिलेगा।
एचओजी में परिवर्तित गाडि़यों का विवरण
गाडि़यां | गाडि़यों की संख्या |
राजधानी | 13 |
शताब्दी | 14 |
दूरंतो | 11 |
संपर्क क्रान्ति | 06 |
हमसफर | 16 |
अन्य मेल/एक्सप्रेस | 282 |
कुल | 342 |
एचओजी में परिवर्तित की जाने वाली गाडि़यों का विवरण
गाडि़यां | गाडि़यों की संख्या |
राजधानी | 12 |
शताब्दी | 08 |
दूरंतो | 06 |
संपर्क क्रान्ति | 07 |
हमसफर | 08 |
अन्य मेल/एक्सप्रेस | 243 |
कुल | 284 |
हैड ऑन जेनरेशन प्रणाली का परिचय :
एचओजी प्रणाली के अंतर्गत गाडि़यों में प्रकाश, वातानुकूलन, पंखें और अन्य यात्री सुविधाओं के लिए बिजली आपूर्ति की जाती है। विश्वभर में रेलवे इसी प्रणाली का इस्तेमाल करती है। इस प्रणाली के तहत बिजली इंजन से प्राप्त की जाती है और बिजली उत्पादन करने के उपकरणों तथा डीजल इंजनों का इस्तेमाल नगण्य हो जाता है।
एचओजी प्रणाली के लाभ
रुपये (करोड़ में) | |
चालू परिवर्तन प्रक्रिया में वार्षिक बचत | 759 |
एचओजी परिवर्तन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद कुल बचत | 1390 |
कोचों के विभिन्न बिजली आपूर्ति प्रणाली में प्रति यूनिट बिजली खर्च
कोचों के प्रकार | बिजली खर्च (रुपये प्रति यूनिट) |
सेल्फ जेनरेटिंग (डीजल ट्रेक्शन) | 36.14 |
सेल्फ जेनरेटिंग (इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन) | 12.37 |
एंड ऑन जेनरेशन (ईओजी) | 22 |
हैड ऑन जेनरेशन | 6 |
ईओजी से एचओजी तक वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी
ईओजी | एचओजी | |
सीओ2 |
1724.6 टन प्रति वर्ष |
शून्य |
एनओX |
7.48 टन प्रति वर्ष |
शून्य |
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