प्रत्येक आकांक्षी जिले में एक सामुदायिक रेडियो की स्थापना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा की जाने की योजना हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अमित खरे ने आज नई दिल्ली स्थित डॉ. बी.आर. अंबेदकर भवन में आयोजित 7वें सामुदायिक रेडियो सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह जानकारी दी।
श्री अमित खरे ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों पर आधारित एक पोस्टर प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
उद्घाटन अवसर पर श्री खरे ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के उत्साह की प्रशंसा की और कहा कि वे देश में सामुदायिक रेडियो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने सामुदायिक रेडियो के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आपदाओ के वक्त सूचनाओं को तेजी से पहुंचाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि इन स्टेशनों में कार्यरत व्यक्तियों के मेहनत से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव दिखाई पड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो के लिये स्थानीय भाषा में सामग्री की आवश्यकता होती है। सामुदायिक रेडियो स्थानीय स्तर पर इन सूचनाओं का प्रसार करने के लिये हब की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक जिले में एक सामुदायिक रेडियो केन्द्र होना चाहिये और प्रत्येक आकांक्षी जिले में सामुदायिक रेडियो की स्थापना को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय से आग्रह किया कि उन्हें सामुदायिक रेडियो अपनाने के संदर्भ में ब्रांड एम्बेसेडर की भूमिका निभानी चाहिए।
सम्मेलन की थीम के बारे में श्री खरे ने कहा कि सामुदायिक रेडियो की सामग्री और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बीच परस्पर संबंध बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सामुदायिक रेडियो प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि उन्हें सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचानी चाहिए। उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि उन्हें स्थानीय स्तर पर शिक्षकों और खिलाड़ियों जैसे आदर्श व्यक्तियों का चयन करना चाहिए। इससे लोगों तक संदेश पहुंचाने की प्रक्रिया प्रभावी सिद्ध होगी।
इस अवसर पर श्री अमित खरे ने एक लघु फिल्म को लांच किया, जो सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से दिखाती है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अवर सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि सामुदायिक रेडियो स्थानीय लोगों को अवसर प्रदान करने का एक प्लेटफार्म है और यह सामुदायों के सशक्तीकरण के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एसडीजी की थीम है-‘किसी को पीछे नहीं छोड़ना है’। व्यक्ति को समुदाय के साथ जोड़ने से तथा समुदाय को राष्ट्र के साथ जोड़ने के साथ सामुदायिक रेडियो मजबूत बनेगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री टी. सी. ए. कल्याणी ने देश के सभी भागों से आये सामुदायिक रेडियो प्रतिनिधियों को एक मिनी भारत की संज्ञा देते हुए कहा कि क्षमता निर्माण के जरिये सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की निरंतरता को बनाये रखा जा सकता है।
द एसडीजी जर्नी – लीविंग नो वन बिहाइंड पर आधारित दीक्षांत सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार श्री राकेश रंजन ने की, जबकि सामुदायिक रेडियो : मुद्दे, विचार और अनुभव की अध्यक्षता पत्र सूचना कार्यालय की पूर्व महानिदेशक सुश्री एस्थर कार ने की। इस सत्र में सोशल मीडिया के जरिये सामग्री प्रबंधन, अनुसंधान, प्रोडक्शन, प्रसारण और सामग्री के प्रसार जैसे विषयों पर चर्चा की गई। आकांक्षी जिलों, आपदा संभावित क्षेत्रों, एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने अपने अनुभाव साझा किये। प्रतिनिधियों ने एसडीजी, प्रशासन और पोषण जैसे विषयों के लिए सरकार के साथ जुड़कर कार्य करने के संदर्भ में अपने अनुभव साझा किए।