Supreme Court’s order dated 10 April 2019 on 36 Rafale Procurement Case 36 राफेल खरीद मामले में 10 अप्रैल, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

Press Information Bureau 
Government of India
Ministry of Defence
10-April-2019 15:52 IST
Supreme Court’s order dated 10 April 2019 on 36 Rafale Procurement Case 
Supreme Court has passed an order dated 10 April 2019 on 36 Rafale Procurement Case.
In the Review Petitions, the petitioners have relied upon the documents, some of which could not have been placed in public domain. The Central Government raised an objection that while considering Review Petitions, the said documents may not be considered as they are classified.
Rafale+Procurement+Case
In the Order passed by the Supreme Court today, the Court has decided to look into the documents also while deciding the Review Petitions. The Review Petitions are pending and are yet to be heard.
The Supreme Court by a well-reasoned judgement and order dated 14 December 2018 had already dismissed the Writ Petitions.
It is reiterated that the petitioners are using documents with the intention to present a selective and incomplete picture of internal secret deliberations on a matter relating to National Security and Defence. The documents presented by the petitioners are failing to bring out how the issues were addressed and resolved and necessary approvals of the competent authorities taken. These are selective and incomplete presentation of the facts and records by the petitioners.
Government had provided the requisite information as desired by the Hon’ble Supreme Court to the Court and also to the petitioners as per directions of the Court and in the manner prescribed by the Court. Government also provided all records and files as required by CAG. The main concern of the Government is relating to availability of sensitive and classified information concerning National Security in the public domain.


36 राफेल खरीद मामले में 10 अप्रैल, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का आदेश 
सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल खरीद मामले में 10 अप्रैल, 2019 को एक आदेश दिया है।
समीक्षा याचिकाओं में, याचिकाकर्ताओं ने उन दस्तावेजों पर भरोसा किया है, जिनमें से कुछ को पब्लिक डोमेन में नहीं रखा जा सकता था। केन्द्र सरकार ने आपत्ति जताई कि समीक्षा याचिकाओं पर विचार करते समय, उक्त दस्तावेजों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे वर्गीकृत दस्तावेज के अंतर्गत आते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने आज अपने आदेश में कहा कि समीक्षा याचिकाओं पर फैसला करते समय न्यायालय उक्त दस्तावेजों पर भी विचार करेगा। समीक्षा याचिकाएं न्यायालय में लंबित है और इन पर सुनवाई होनी शेष है।
14 दिसंबर, 2018 को अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मामले पर आंतरिक विचार-विमर्श के कुछ हिस्सों को चुनकर और इसकी अधूरी तस्वीर पेश करने के इरादे से दस्तावेजों का उपयोग कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ यह बताने में विफल रहे हैं कि मुद्दों का किस प्रकार समाधान किया गया और किस तरह सक्षम अधिकारियों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किया गया। यह याचिकाकर्ताओं द्वारा तथ्यों और रिकॉर्डों की चुनी हुई और अधूरी प्रस्तुति हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ सूचनाओं की मांग की थी। सरकार ने इन वांछित सूचनाओं से संबंधित कागजात न्यायालय और याचिकाकर्ताओं को सौंपे थे। न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सूचनाएं प्रदान की गई थी। सीएजी ने भी रिकॉर्डों और फाइलों की मांग की थी। सरकार ने सीएजी को भी सूचना दस्तावेज उपलब्ध कराए। सरकार की मुख्य चिंता पब्लिक डोमेन में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील और वर्गीकृत जानकारी की उपलब्धता से संबंधित है।
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