Press Information Bureau
Government of India
Cabinet
06-December-2018 21:16 IST
Cabinet approves implementation of Shahpurkandi Dam (National Project) on river Ravi in Punjab
The Union Cabinet chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi today has approved implementation of Shahpurkandi Dam Project, Punjab on river Ravi. For this, Central Assistance of Rs. 485.38 cr (for irrigation component) would be provided over five years from 2018-19 to 2022-23.
Implementation of this project would help minimising some of the water of the River Ravi which at present is going waste through the Madhopur Head works downstream to Pakistan.
Details:
- On completion of the project an Irrigation Potential of 5,000 ha in Punjab State and 32,173 ha in J&K State would be created.
- Funding for Central Assistance to Shahpurkandi Dam project shall be made through NABARD under existing system for funding of 99 PMKSY-AIBP projects under LTIF.
- In addition to existing monitoring mechanism for projects by Central Water Commission, a committee headed by Member, Central Water Commission and consisting of concerned Chief Engineers of Punjab and J&K and other concerned officers would be constituted to oversee/monitor the implementation of project.
- The Advisory committee of MoWR, RD&GR on Irrigation, Flood Control and Multipurpose Projects accepted the second Revised Cost Estimate amounting to Rs. 2715.70 crore (February, 2018 Price Level) in its 138th meeting held on 31.10.2018.
- The project would be implemented by Govt. of Punjab with Central Assistance of Rs. 485.38 crore The project would be completed by June 2022.
Impact:
- Some of the water of the River Ravi at present is going waste through the MadhopurHeadworks downstream to Pakistan whereas there is requirement for the same for use in Punjab and J&K. Implementation of the project would minimise such wastage of water.
- On completion of the project an additional Irrigation Potential of 5000 ha in Punjab State and 32173 ha in J&K State would be created.
- In addition, water being released to provide irrigation in 1.18 Lac ha area under UBDC system in Punjab would be managed/regulated efficiently through this project and the irrigation in the area would be benefitted. On completion, Punjab would also be able to generate 206 MW of hydropower.
Expenditure:
The balance cost of works component of ShahpurKandi Dam project is Rs. 1973.53 cr. (Irrigation component: 564.63 cr, Power component: 1408.90 cr.) Out of the this, Rs 485.38 Cr would be provided as Central Assistance.
Beneficiaries:
Irrigation in 5000 ha of land in Punjab and 32172 ha in J&K would be provided. The implementation of scheme would generate 6.2 lakh man-days employment for unskilled workers, 6.2 lakh man-days employment for semi-skilled andl 1.67 lakh man-days employment for skilled workers.
Background:
- Indus Waters Treaty was signed between India and Pakistan in 1960 for sharing of Indus waters. According to the Treaty, India got the full rights for utilization of waters of the three Eastern Rivers namely Ravi, Beas and Satluj.
- Some of the water of the River Ravi at present is going waste through the Madhopur Head works downstream to Pakistan. Implementation of the project would minimise such wastage of water.
- A Bilateral agreement was signed between Punjab and J&K in Jan, 1979. As per the agreement, construction of Ranjit Sagar Dam (Thein Dam) and Shahpurkandi Dam was to be taken up by Punjab Govt. Ranjit Sagar Dam was commissioned in Aug, 2000. The ShahpurKandi Dam project is proposed on River Ravi, 11 d/s of Ranjit Sagar Dam and 8 km u/s of Madhopur Head Works.
- The Project was initially approved by the Planning Commission during November, 2001 and was included under the Accelerated Irrigation Benefits Scheme (AIBP) of this Ministry for funding its irrigation component.
- Revised cost of the ShahpurKandi Dam National project was approved by the Advisory Committee of MoWR, RD & GR on 24th August, 2009 for Rs. 2285.81 crore Central Assistance of Rs. 26.04 crore was released during period 2009-10 to 2010-11. However, the works could not progress much due to non-availability of funds on the part of Govt. of Punjab for power component and later interstate issues with J&K.
- Series of meetings were held bilaterally as well as at Govt. of India level. Finally, an agreement was reached between Punjab and J&K states under the aegis of MoWR, RD&GR at New Delhi on 8th September, 2018.
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
मंत्रिमंडल
06-दिसंबर-2018 22:05 IST
मंत्रिमंडल ने पंजाब में राबी नदी पर शाहपुरकंडी डैम (राष्ट्रीय परियोजना) को लागू करने की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राबी नदी पर शाहपुरकंडी डैम,पंजाब को लागू करने की मंजूरी दी है। इसके लिए 2018-19 से 2022-23 की पांच वर्षों की अवधि के दौरान 485. 38 करोड़ रुपये (सिंचाई घटक के लिए) की केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
इस परियोजना के कार्यान्वयन से राबी नदी के जल की मात्रा में कमी लाने में सहायता मिलेगी जो वर्तमान में माधोपुर हेडवर्क्स से होते हुए पाकिस्तान चली जाती है।
ब्यौरा :
- परियोजना के पूरा होने पर पंजाब राज्य में 5000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी।
- शाहपुरकंडी डैम परियोजना के लिए वर्तमान की 99 पीएमकेएसवाई-एआईबीपी परियोजनाओं के समान नाबार्ड के माध्यम से केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- केंद्रीय जल आयोग की वर्तमान निगरानी व्यवस्था के अतिरिक्त केंद्रीय जल आयोग के सदस्य की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। परियोजना की कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए गठित की जाने वाली इस समिति में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के चीफ इंजीनियर और संबंधित अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
- एमओडब्ल्यूआर, सिंचाई पर आरडी एंड जीआर, बाढ़ नियंत्रण तथा बहुद्देशीय परियोजनाओं की परामर्शदात्री समिति ने 31 अक्टूबर 2018 को हुई138वीं बैठक में 2715.70 करोड़ रुपये (मूल्य स्तर फरवरी 2018) के दूसरे पुनरीक्षित लागत अनुमान को स्वीकृति दी है।
- 485.38 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ पंजाब सरकार इस परियोजना को लागू करेगी। जून 2022 तक यह परियोजना पूरी हो जाएगी।
प्रभाव :
- राबी नदी के पानी की कुछ मात्रा वर्तमान में माधोपुर हेडवर्क्स होकर पाकिस्तान चली जाती है, जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में जलकी आवश्यकता है। परियोजना को लागू करने से पानी की बर्बादी में कमी लाने में मदद मिलेगी।
- इस परियोजना के पूरा होने से पंजाब राज्य में अतिरिक्त 5000 हेक्टेयर और जम्मू–कश्मीर में अतिरिक्त 32,173 हेक्टेयर भूमि कोसिंचाई की सुविधा मिलेगी।
- इसके अतिरिक्त इस परियोजना से पंजाब में यूबीडीसी प्रणाली के अंतर्गत 1.18 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। परियोजना के पूरा होने के पश्चात पंजाब 206 मेगावाट जलविद्युत पैदा करने में सक्षम होगा।
परिव्यय :
शाहपुरकंडी डैम परियोजना के कार्य घटक की शेष लागत 1973.53 करोड़ रुपये (सिंचाई घटक: 564.63 करोड़ रुपये, ऊर्जा घटक :1408.90करोड़ रुपये) है। इसमें 485.38 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
लाभ :
पंजाब के 5000 हेक्टेयर भूमि तथा जम्मू-कश्मीर के 32,172 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी। परियोजना के कार्यान्वयन से अकुशल श्रमिकों के लिए 6.2 लाख कार्यदिवसों, अर्द्धकुशल श्रमिकों के लिए 6.2 लाख कार्यदिवसों तथा कुशल श्रमिकों के लिए 1.67 लाख कार्यदिवसों के रोजगार का सृजन होगा।
पृष्ठभूमि :
- सिंधू नदी के जल बंटवारे के लिए 1960 में भारत और पाकिस्तान ने सिंधू जल सन्धि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत भारत को 3 पूर्वी नदियों-राबी, ब्यास और सतलज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार प्राप्त हुआ था।
- राबी नदी के जल की कुछ मात्रा वर्तमान में माधोपुर हेडवर्क्स होकर पाकिस्तान में चली जाती है। इस परियोजना के लागू होने से पानी की बर्बादी होने में मदद मिलेगी।
- पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 1979 में एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। समझौते के तहत पंजाब सरकार द्वारा रंजीत सागर डैम (थीन डैम) और शाहपुरकंडी डैम का निर्माण किया जाना था। रंजीत सागर डैम का निर्माण कार्य अगस्त, 2000 में पूरा हुआ था। शाहपुरकंडी डैम परियोजना राबी नदी पर रंजीत सागर डैम से 11 किमी डी/एस तथा माधोपुर हेडवर्क्स से 8 किमी यू/एस पर स्थित है।
- इस परियोजना को योजना आयोग ने नवंबर, 2001 में प्रारंभिक मंजूरी दी थी और इसे त्वरित सिंचाई लाभ योजना (एआईबीपी) के अंतर्गत शामिल किया था ताकि सिंचाई घटक के अंतर्गत इस योजना के लिए कोष उपलब्ध कराया जा सके।
- एमओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर की परामर्शदात्री समिति ने 24 अगस्त, 2009 को शाहपुरकंडी डैम राष्ट्रीय परियोजना के लिए 2285.81 करोड़ रुपये का संशोधित लागत निर्धारित किया था। इस परियोजना के लिए 26.04 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता 2009-10 से 2010-11 के दौरान जारी की गई थी। हालांकि कार्य में प्रगति नहीं हो सकी। इसका कारण था- पंजाब सरकार द्वारा ऊर्जा घटक के अंतर्गत कोष उपलब्ध नहीं कराना तथा जम्मू-कश्मीर के साथ कई मुद्दों पर मतभेद होना।
- इस संबंध में द्विपक्षीय स्तर पर कई बैठकें आयोजित की गईं तथा भारत सरकार के स्तर पर भी कई बैठकों का आयोजन हुआ। अंतत: एमओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर के तत्वावधान में पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने 8 सितंबर, 2018 को नई दिल्ली में एक समझौते पर सहमति व्यक्त की।