Press Information Bureau
Government of India
Ministry of Corporate Affairs
07-December-2018 17:13 IST
FM addresses the Conference on ‘Insolvency and Bankruptcy Code – A New Paradigm for Stressed Assets’ via Video Conferencing, being organized by the IBBI jointly with the Consulate General of India, New York, USA; FM: Given the future potential of the Indian economy and the fair process followed under the Code, it is a great opportunity for investors who are seriously thinking about investing in India; There can’t be a better opportunity than the present one which is being offered through the Code; This is the right time and right place to be in India for these kinds of investments.
The Union Minister of Finance and Corporate Affairs, Mr. Arun Jaitley said that the scattered regime prior to the enactment of the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC), 2016 had impacted the domestic private investment with over capacities in certain sectors coupled with unacceptably high levels of Non-Performing Assets (NPAs) in the Banking System, hindering growth. To address these concerns, the Finance Minister said that this Government not only enacted the Code expeditiously, but also has been implementing it at an unprecedented pace. It was anticipated that in the initial days, there would be some teething troubles. He said that the Government is addressing these troubles on priority. Despite the initial difficulties, the outcome from implementation of the Code has been better than the anticipated. The process is governed by the Rules and Regulations and the Government maintains an arms’ length distance from the process and has no favourites. The Finance Minister, Shri Arun Jaitley was addressing through Video Conferencing the Conference on ‘Insolvency and Bankruptcy Code – A New Paradigm for Stressed Assets’ organized in New York, USA on 5th December, 2018 by the Insolvency and Bankruptcy Board of India (IBBI) jointly with the Consulate General of India, New York, USA.
Speaking further on the occasion, the Minister of Finance and Corporate Affairs, Shri Arun Jaitley said that the only downside has been that in some of the cases because of appeals and counter-appeals and litigations, the process has got somewhat delayed. But then the Supreme Court has stood-up to the occasion. While referring to the regrettable phenomenon of unwillingness of the debtors to repay the debts in the past, the Finance Minister emphasized that the Code has significantly changed the lender-borrower relationship in India. Shri Jaitley further said that a very large number of debtors who fear that they are about to touch or cross the red line after which they will be in the NCLT (National Company Law Tribunal) are now refraining themselves from becoming defaulters.
The Minister of Finance and Corporate Affairs, Shri Arun Jaitley further said that unquestionably, it has now been established over the last few years that India is a fast-growing economy, faster than some of its contemporaries amongst the emerging economies and my own view is that India, over the next decade or so, is likely to maintain this high growth rate of at least 7-8 per cent. Highlighting the investment opportunities emerging from the processes under the Code, Shri Jaitley stated that given the future potential of the Indian economy, and the fair process followed under the Code, it is a great opportunity for investors who are seriously thinking about investing in India. There can’t be a better opportunity than the present one which is being offered through the Code. The Finance Minister, Shri Jaitley stated that this is the right time and right place to be in India for these kinds of investments. Noting the number of Corporate Debtors undergoing Resolution, the Minister stated that the number of assets that are available for take-over through the Code is extremely large.
Dr. M. S. Sahoo, Chairperson, IBBI touched upon the key features of the new regime which provides for a market mechanism for resolution of insolvency, wherever possible, and exit, wherever required. Mr. Sanjeev Sanyal, Principal Economic Advisor, Ministry of Finance, Govt of India stated that the Code has changed the culture of rolling-over debt and ever-greening. Mr. Sandeep Chakravorty, Consul General of India in New York invited attention to the changes in the Indian economy in the last five years due to the deep economic reforms, including GST and the Code, to make it easy for doing business.
The other eminent speakers at the Conference included Dr. Arunish Chawla, Minister Economic, Embassy of India; Mr. Shardul Shroff, Executive Chairman and National Practice Head, Insolvency & Bankruptcy, Shardul Amarchand Mangal das & Co.; Dr. Mamta Suri, Executive Director, IBBI; Mr. Anoop Rawat, Partner, Insolvency & Bankruptcy, Shardul Amarchand Mangaldas & Co.; Mr. Nilanjan Sinha, Head Legal, ICICI Bank; Mr Manish Aggarwal, Partner, Head – Resolutions & Restructuring Special Situations Group, KPMG; Mr. Aneek Mamik, Senior Managing Partner, Varde Partners; Ms. Debra A. Dandeneau, Partner, Baker & McKenzie; Mr Sanjeev Krishna, Partner & Leader – Private Equity & Deals, Price water house Coopers Pvt Ltd.; Mr Sanjay Gupta, Director, ICAI Insolvency Professional Agency; Mr. Sumit Khanna, Partner & National Head Corporate Finance & Restructuring, Deloitte India, Mr Karamvir Dahiya, Bankruptcy Litigation Lawyer, and Ms. Jyoti Vij, Deputy Secretary General, FICCI.
The Conference was followed by a round table with prospective stakeholders of the Indian insolvency regime. This witnessed participation of fund houses and law firms, including Kirkland, KKR, Hartford, Wachtell, Lipton, Rosen, KTC, Debevoise, Plimpton, MSD, Raffael Surety Group, and State Bank of India. The participants were keen to understand the process certainty, time certainty and outcome certainty.
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय
07-दिसंबर-2018 20:21 IST
वित्त मंत्री ने ‘भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड – फंसे हुए कर्ज के लिए नए प्रतिमान’ विषय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्मेलन को संबोधित किया; इसका आयोजन आईबीबीआई ने न्यूयॉर्क, अमरीका में भारत के महावाणिज्य दूत के साथ संयुक्त रूप से किया; वित्त मंत्री : भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की संभावनाओं और कोड के अंतर्गत अपनाई जाने वाली निष्पक्ष प्रक्रिया को देखते हुए, उन निवेशकों के लिए यह बड़ा अवसर जो भारत में निवेश करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं ; वर्तमान से बेहतर अवसर नहीं हो सकता, जिसकी पेशकश इस कोड के जरिए की गई है; इस तरह के निवेशों और भारत में होने के लिए यह सही समय है
केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी), 2016 कानून से पहले अस्त-व्यस्त शासन ने कुछ क्षेत्रों में घरेलू-निजी निवेश को प्रभावित किया, जिससे बैंकिंग प्रणाली में फंसे हुए कर्जों का स्तर काफी हद तक बढ़ गया, इसका विकास पर असर पड़ा। इन चिंताओं को दूर करने के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने न केवल इस संबंध में तेजी से कानून बनाया, बल्कि अभूतपूर्व गति से वह इसका कार्यान्वयन कर रही है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि आरंभिक दिनों में कुछ कठिनाइयां आएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर कठिनाइयों को दूर कर रही है। आरंभिक दिक्कतों के बावजूद, कोड के कार्यान्वयन के अनुमान से बेहतर नतीजे सामने आए हैं। यह प्रक्रिया शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है तथा सरकार प्रक्रिया से निकटता बनाने से बच रही है और उसका कोई कृपा पात्र नहीं है। वित्त मंत्री वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए 5 दिसंबर, 2018 को न्यूयॉर्क, अमरीका में ‘भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड – फंसे हुए कर्ज के लिए नए प्रतिमान’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन आईबीबीआई ने न्यूयॉर्क, अमरीका में भारत के महावाणिज्य दूत के साथ संयुक्त रूप से किया था।
इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि केवल एकमात्र नकारात्मक पहलू यह है कि कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकादमेबाजी के कारण, इस प्रक्रिया में देरी हुई है, लेकिन इसके बाद उच्चतम न्यायालय खड़ा हुआ। पूर्व में ऋणों की अदायगी करने के लिए ऋणदाताओं के अनिच्छुक होने का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि कोड ने भारत में ऋणदाताओं और ऋण लेने वालों के सम्बन्धों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। श्री जेटली ने कहा कि बड़ी संख्या में कर्जदार, जिन्हें यह डर होता है कि वे लाल रेखा के करीब पहुंचने वाले है, जिसके बाद वे एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) में होंगे, वह अब दिवालिया घोषित होने से परहेज कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से, पिछले कुछ वर्षों में अब यह स्थापित हो गया है कि भारत तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है, कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं से तेज और मेरा अपना विचार है कि भारत अगले कुछ दशक में कम से कम 7-8 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखेगा। कोड के अंतर्गत प्रक्रियाओं से निकलने वाले निवेश के अवसरों को उजागर करते हुए, श्री जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की संभावनाओं और कोड के अंतर्गत अपनाई जा रही निष्पक्ष प्रक्रियाओं को देखते हुए उन निवेशकों के लिए यह उत्तम अवसर है, जो भारत में निवेश के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। वर्तमान से बेहतर अवसर नहीं हो सकता, जिसकी पेशकश इस कोड के जरिए की गई है। श्री जेटली ने कहा कि इस तरह के निवेशों और भारत में होने के लिए यह सही समय है। कॉरपोरेट कर्जदाता जिनका समाधान निकाला जा रहा है, उनकी संख्या के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि कोड के जरिए लिए जाने के लिए उपलब्ध परिसंपत्तियों की संख्या काफी अधिक है।
आईबीबीआई के अध्यक्ष डॉ. एम.एस. साहू ने नये शासन की प्रमुख विशेषताओं की जानकारी दी, जो ऋणशोधन अक्षमता के समाधान के लिए जहां कहीं संभव हो वहां एक बाजार तंत्र और जहां जरूरी हो वहां निकासी प्रदान कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार श्री संजीव सान्याल ने कहा कि कोड ने भुगतान स्थगित कर कर्ज के पुनर्वित्तीयन और गैर मियादी ऋण की संस्कृति को बदल दिया है। न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत श्री संदीप चक्रवर्ती ने व्यवसाय को आसान बनाने के लिए जीएसटी और कोड सहित गहरे आर्थिक सुधारों के कारण पिछले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में आए बदलाव की ओर ध्यान आकर्षित किया।
सम्मेलन को जिन अन्य प्रमुख वक्ताओं ने संबोधित किया, उनमें भारत के दूतावास में सचिव (आर्थिक) डॉ. अरूणीश चावला; भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता, शरदूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष और नेशनल प्रेक्टिस हैड श्री शरदूल श्रौफ; आईबीबीआई के कार्यकारी निदेशक डॉ. ममता सूरी; भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता, शरदूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साझेदार श्री अनूप रावत; आईसीआईसीआई बैंक के कानूनी प्रमुख श्री नीलांजन सिन्हा; समाधान और पुनर्गठन विशेष स्थिति समूह, केपीएमजी के साझेदार प्रमुख श्री मनीष अग्रवाल; वर्दे पर्टनर्स के वरिष्ठ प्रबंध सहयोगी श्री अनीक मामिक; बेकर एंड मेकेंजी में साझेदार सुश्री देबरा ए. डंडेनीउ; प्राइवेट इक्विटी एंड डील्स; प्राइस वाटर हाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड के साझेदार और प्रमुख श्री संजीव कृष्णन; आईसीएआई शोधन अक्षमता प्रोफेशनल एजेंसी के निदेशक श्री संजय गुप्ता; कॉरपोरेट वित्त और पुनर्गठन, डेलॉयट इंडिया के साझेदार और राष्ट्रीय प्रमुख श्री सुमित खन्ना; दिवाला, मुकदमा वकील श्री कर्मवीर दहिया और फिक्की की उप महासचिव सुश्री ज्योति विज ने भी संबोधित किया।
सम्मेलन के बाद भारतीय शोधन अक्षमता व्यवस्था के प्रत्याशित साझेदारों के साथ बैठक हुई। इसमें किर्कलैंड, केकेआर, हार्टफोर्ड, वॉचटेल, लिप्टन, रोजन, केटीसी, देबेवॉयस, प्लिंपटन, एमएसडी, रफेल श्योरटी ग्रुप और भारतीय स्टेट बैंक सहित निधियन घरानों और कानूनी फर्मों ने हिस्सा लिया। इसमें भाग लेने वालों को प्रक्रिया सम्बन्धी निश्चितता, समय की निश्चितता और नतीजों की निश्चितता को लेकर उत्सुकता थी।