XVFinance Commission 15 वें वित्त आयोग

XVFinance Commission holds productive discussion with Smt. Sushma Swaraj, Minister of External Affairs and other officials 
Commission conscious of challenges and opportunities of foreign policy of an increasingly interdependent India
Finance+Commission

As part of Finance Commission of India’s interactive process with major central ministries, discussions were held today with Minister of External Affairs Smt. Sushma Swaraj and other senior officials of the ministry. The Commission led by Chairman Shri N. K. Singh and other members Sh. Shakti kanta Das, Dr. Anoop Singh, Dr. Ashok Lahiri and Dr. Ramesh Chand was appraised of the broad architecture of the working of the foreign affairs in their detailed presentation. The highlights of the meeting are:

  • MEA’s budget has remained less than 1 % of the total budget of the GOI’s budget which needs a fillip with the kind of activities it has to undertake. Out of total budget, Establishment expenditures have been consistently below 30%. Around 25% of the Establishment Expenditure is used for Central Passport Organization. Of Non-establishment expenditures, Aid (Grant plus Loans) which is major head standing at around 58%, is facing shortfall of about 3900 crores.
  • MEA is working on strategic connectivity, shaping choices and balancing interests & creating goodwill by various development projects, humanitarian assistance and aids to friendly countries, innovative diplomatic outreach and partnerships. Development partnership of about 27.7 billion dollars is in place at present with various countries under India’s Neighborhood First and Act East policies. To increase the outreach and efforts towards such partnerships, 18 new missions are to be opened by 2022 in various countries which need additional resources.
  • MEA is working vigorously to enhance public service delivery through a network of 322 Passport Centers (including Post Office – PSKs) across the country, up from mere 77 passport centers in 2014 with excellence. Post Office Passport Seva Kendras, launched in January 2017, have been a major policy decision for last mile coverage. MEA has a target of Passport Centre in every parliament Constituency in future.
  • As part of its outreach to the Indian diaspora as well as Indian citizens, MEA has stared various programmes like Bharat Ek Parichay, Know India Programme, Pradesh Me Videsh and SAMEEP.
The Commission was conscious that contours of foreign policy of an increasingly interdependent India entails multiple challenges and opportunities. The emergence of other major powers in this region and the need for timely completion of projects initiated in number of friendly countries, needed adequacy of resources.

The opportunities in Africa and other developing countries also needed to be harnessed to the country’s advantage and predictability of finances was central in these endeavors. Enhancing the reach and quality of India’s diplomatic power needed further strengthening by both the ministry as well missions abroad. The need to open so many new embassies in different parts of the world in near future and improving the public service delivery by a network of Passport Centers across the country, both need finances for physical infrastructure and manpower.
Chairman and Members tried to understand the trade relations of India across the globe, its challenges and efforts done to enhance this. Overall, Commission was given an understanding of the challenges in matching India’s diplomatic power with India’s economic power as world’s fastest growing emerging economy in 21st Century – The Asian Century.Following today’s preliminary meeting, more such meetings and consultations will be held between the Ministry and the Commission
15 वें वित्त आयोग ने विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और अन्य अधिकारियों के साथ उपयोगी विचार-विमर्श किया
आयोग परस्‍पर निर्भर विदेश नीति की बढ़ती हुई चुनौतियों और अवसरों के प्रति सजग
प्रमुख केन्‍द्रीय मंत्रालयों के साथ आपस में बातचीत की प्रक्रिया के अंतर्गत वित्त आयोग ने विदेशी मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के सिंह और अन्यों सदस्यों श्री शक्तिकांत दास, डा. अनूप सिंह, डा. अशोक लहरी और डा. रमेश चंद के नेतृत्व में आयोग को विदेश मंत्रालय के कामकाज की विस्‍तृत संरचना से अवगत कराया गया। बैठक की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं,

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  • विदेश मंत्रालय का बजट अभी भी सरकार के पूर्ण बजट का 1 प्रतिशत से कम है, जिसे उसके द्वारा किये जा रहे कार्यों को देखते हुए बढ़ाने की आवश्यकता है। कुल बजट में से प्रतिष्ठान का खर्च लगातार 30 प्रतिशत से कम है। प्रतिष्ठान के व्यय का करीब 25 प्रतिशत केन्द्रीय पासपोर्ट संगठन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गैर प्रतिष्ठान खर्च का, सहायता (अनुदान जमा ऋण) जो करीब 58 प्रतिशत पर बना हुआ है, उसे करीब 3900 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 
  • विदेश मंत्रालय विभिन्न विकास परियोजनाओं द्वारा रणनीतिक संपर्क बनाने, विकल्प तैयार करने और हितों का संतुलन बनाने तथा सद्भावना पैदा करने, मानवीय सहायता और मित्र देशों को सहायता, नवीन कूटनीतिक पहुंच और साझेदारी के बारे में कार्य कर रहा है। वर्तमान में भारत की सर्वप्रथम पड़ोसी और एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत विभिन्न देशों के साथ वर्तमान में करीब 27.7 अरब डलर की विकास साझेदारी है। ऐसी साझेदारी की पहुंच बढ़ाने और इस दिशा में प्रयास के लिए विभिन्न देशों में 2022 तक 18 नए दूतावास खोले जाएंगे जिनके लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत होगी। 
  • विदेश मंत्रालय देशभर में 322 पासपोर्ट केन्‍द्रों (डाकघर-पीएसके सहित) के नेटवर्क के जरिए सार्वजनिक सेवा डिलीवरी बढ़ाने के लिए जमकर कार्य कर रहा है, 2014 में उत्कृष्टता के साथ केवल 77 पासपोर्ट के लिए कार्य कर रहे थे। डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्रों की शुरूआत जनवरी 2017 में की गई थी, यह अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए एक नीतिगत फैसला था। विदेश मंत्रालय का भविष्य में प्रत्येक संसदीय जिले में पासपोर्ट केन्द्र खोलने का लक्ष्य है। 
  • प्रवासी भारतीयों और भारतीय नागरिकों तक पहुंचने के तहत, विदेश मंत्रालय ने भारत एक परिचय, भारत को जानिए, प्रदेश में विदेश और समीप जैसे विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। 
आयोग परस्‍पर निर्भर विदेश नीति की बढ़ती हुई चुनौतियों और अवसरों के प्रति सजग है। क्षेत्र में अन्य प्रमुख शक्तियों के उद्भव और अनेक मित्र देशों में शुरू की गई परियोजनाओं के समय पर पूरा होने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की जरूरत है।
अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों में मौजूद अवसरों को भी देश के फायदे के लिए उपयोग में लाना जरूरी है और इन प्रयासों के केन्द्र में सबसे प्रमुख वित्तीय आवश्यकता है। मंत्रालय और विदेशों के दूतावासों द्वारा भारत की कूटनीतिक शक्ति तक पहुंच और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने की आवश्यकता है। निकट भविष्य में विश्व के विभिन्न भागों में अनेक दूतावास खोलने और देश भर में पासपोर्ट केन्द्रों के नेटवर्क द्वारा सार्वजनिक सेवा डिलिवरी में सुधार की आवश्यकता है। 
अध्यक्ष और सदस्यों ने दुनिया में भारत के संबंधों, उसकी चुनौतियों और इसे बढ़ाने के प्रयासों को समझने का प्रयास किया। आज की प्रारंभिक बैठक के बाद, ऐसी कुछ और बैठकें और विचार-विमर्श मंत्रालय और आयोग के बीच भविष्य में आयोजित किए जाएंगे।
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