Swachh Bharat Sustainable Sanitation Workshops Kicked off, to be Held Across the Country
First Regional Review Meeting for “Sustainable Sanitation” Held In Nagpur
The Ministry of Drinking Water and Sanitation, Government of India, in coordination with the Water Supply and Sanitation Department, Government of Maharashtra, organized the first in a series of regional review meetings on Sustainable Sanitation today. The regional review was held in Nagpur, attended by State Secretaries in-charge of rural sanitation, Mission Directors, and other State Swachh Bharat Mission (SBM) officials, including representatives from 25 districts from Maharashtra, Madhya Pradesh, Chhattisgarh and Gujarat.
The review meeting was chaired by Mr. Parameswaran Iyer, Secretary, Ministry of Drinking Water and Sanitation, joined by Mr. Akshay Rout, Director General (Special Projects), Ministry of Drinking Water and Sanitation, Mr. Shyamlal Goyal, Addl. Chief Secretary, Maharashtra, Mr. Hiranya Borah, Deputy Director General, Ministry of Drinking Water and Sanitation, and Mr. Samir Kumar, Joint Secretary, Ministry of Drinking Water and Sanitation.
Quality and sustainability are a parallel focus in the Swachh Bharat Mission implementation mechanism, especially now that a majority of districts across the country have achieved Open Defecation Free (ODF) status. Aimed at a more focused drive on the theme of sustainability, and improving quality of, the work done on the ground, the review meeting covered a range of quality and sustainability indicators in order to improve infrastructure and data quality and to improve communication for quality initiatives. In his address, Mr. Akshay Rout shared that as the Swachh Bharat Mission enters its fifth and final year of implementation, this year is a clear milestone for the janandolan to move ahead with a new target to ensure the cleanliness of the country.
The States also made presentations on their status of sustainability indicators, such as geotagging, ODF verifications, Information, Education, and Communication (IEC) activities, etc., followed by discussions on how to move forward. In his closing remarks, Mr. Parameswaran Iyer lauded the efforts already being undertaken by the States and said that a focus on quality and sustainability is what will help in securing a Swachh and Swasth future for India.
The regional meeting follows the official kick-start of the workshop in New Delhi on 24th October 2018, where the Ministry of Drinking Water and Sanitation interacted with State SBM officials to review and communicate the various message of the Quality and Sustainability Mission. The series of sustainability regional workshops which will take place across the country have been scheduled within the next month to cover all States and Union Territories. Current locations include Chennai (Tamil Nadu), Nainital (Uttarakhand), Guwahati (Assam) and Kolkata (West Bengal).
As of October 2018, rural sanitation coverage has increased from 39%, at the launch of the SBM in 2014, to 95%. With rural India having constructed 8.7 crore individual household toilets, 5.15 lakh villages, 530 districts and 25 States and Union Territories have been declared ODF.
स्वच्छ भारत स्थायी स्वच्छता कार्यशालाओं की शुरुआत हुई, अब पूरे देश में आयोजित होंगी
“स्थायी स्वच्छता” के लिए पहली क्षेत्रीय समीक्षा बैठक नागपुर में हुई
भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने महाराष्ट्र के जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के सहयोग से स्थायी स्वच्छता को लेकर क्षेत्रीय समीक्षा बैठकों की श्रंखला में आज पहली ऐसी बैठक का आयोजन किया। ये क्षेत्रीय समीक्षा नागपुर में आयोजित की गई जिसमें ग्रामीण स्वच्छता का जिम्मा संभालने वाले राज्य सचिवों, मिशन निदेशकों और अन्य राज्य स्वच्छ भारत मिशन अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इनके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात के 25 जिलों के प्रतिनिधि भी इसमें मौजूद थे।
इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने की और उनके साथ में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के महानिदेशक (विशेष परियोजना) श्री अक्षय राउत, महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री श्यामलाल गोयल, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री हिरण्य बोरा और पेयजल एंव स्वच्छता मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार ने हिस्सा लिया।
स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन तंत्र में गुणवत्ता और स्थिरता दोनों पर समान रूप से ध्यान दिया गया है, खासकर अब जब देश भर में ज्यादातर जिले खुले में शौच से मुक्त होने का स्तर पा चुके हैं। इस समीक्षा बैठक का लक्ष्य स्थायित्व पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करके काम करने और जमीनी स्तर पर हुए काम की गुणवत्ता को सुधारने पर था। गुणवत्ता पहलों के लिए संचार सुधारने और बुनियादी ढांचे व आंकड़ों को बेहतर करने के लिए इस बैठक में गुणवत्ता और स्थायित्व के संकेतकों की श्रंखला का दायरा छुआ गया। अपने भाषण में श्री अक्षय राउत ने साझा किया कि ऐसे में जब स्वच्छ भारत मिशन कार्यान्वयन के अपने पांचवें और आखिरी चरण में प्रवेश कर रहा है, तब देश की स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए एक नए लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने के जनांदोलन के लिए ये साल स्पष्ट रूप से मील का पत्थर है।
राज्यों ने भी अपने यहां के जियोटैगिंग, ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्ति) सत्यापनों, सूचना, शिक्षा व संचार गतिविधियों जैसे स्थिरता संकेतकों के स्तर को प्रस्तुतियों के माध्यम से दिखाया जिसके बाद ये चर्चा हुई कि आगे कैसे बढ़ा जाए। अपनी अंतिम टिप्पणी में श्री परमेश्वरन अय्यर ने राज्यों द्वारा अब तक किए गए प्रयासों की तारीफ की और कहा कि भारत के स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य को सुरक्षित करने में गुणवत्ता और स्थायित्व पर ध्यान केंद्रित करने से ही मदद मिलेगी।
यह क्षेत्रीय बैठक 24 अक्टूबर को नई दिल्ली में आधिकारिक रूप से शुरू हुई कार्यशाला के बाद हुई है। उस कार्यशाला में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने गुणवत्ता व स्थिरता मिशन के कई संदेशों की समीक्षा और संचार के लिए राज्य स्वच्छ भारत मिशन अधिकारियों से मुलाकात की। देश भर में होने जा रही क्षेत्रीय स्थायी स्वच्छता कार्यशालाओं की श्रंखला के लिए अगला एक महीना तय किया गया है जिसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दायरा पूरा किया जाना है। मौजूदा जगहों में चेन्नई (तमिलनाडु), नैनीताल (उत्तराखंड), गुवाहाटी (असम) और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।
अक्टूबर 2018 तक ग्रामीण स्वच्छता का दायरा बढ़कर 95 प्रतिशत तक हो चुका है जो स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के समय 2014 में 39 प्रतिशत था। ग्रामीण भारत में 8.7 करोड़ निजी घरेलू शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है जिस वजह से 5.15 लाख गांवों, 530 जिलों और 25 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है।