मा.पो.सी जैसे महान नेताओं की गाथाएं सभी स्कूलों में पढ़ाई जानी चाहिए : उपराष्ट्रपति
मा.पो.सी सर्वमान्य नेता थे, उन्होंने भेदभाव नहीं किया मा.पो.सी महान राष्ट्रवादी और देशभक्त थे वैंकेया नायडू ने मा.पो.सी की आत्मकथा “इनाधू, पोरात्तम” का लोकार्पण किया
उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू ने कहा है कि श्री मायलापोर पोन्नूसामी शिवागनानम (मा.पो.सी) जैसे महान नेताओं की कथाएं सभी स्कूलों में पढाई जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति आज चेन्नई में 23वीं वर्षगांठ की स्मृति में मा.पो.सी की आत्मकथा “इनाधू, पोरात्तम” के लोकार्पण अवसर पर समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर तमिलनाडु के मछली पालन तथा कार्मिक और प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी.जयकुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानी, तमिल साहित्य के महान विद्वान और तमिलनाडु, तमिल भाषा और तमिल संस्कृति को नई पहचान देने वाले महान नेता मा.पो.सी के योगदान को शानदार बताया। उन्होंने सीलाप्पाथीकरम की विस्तृत व्याख्या की और पूरे तमिलनाडु में इस महाकाव्य का प्रसार किया। वी.ओ.चिदंबरम पिल्लई पर उनकी कृति “कप्पालोत्रीया तमिझन”इतना लोकप्रिय थी कि यह महान नेता का उपनाम बन गई।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन में तमिलनाडु की भूमिका पर “विधुथलाई पोरिल तमिझगम” उनका महान संकलन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मा.पो.सी मातृ भाषा के माध्यम से परंपरागत जड़ों को मजबूत बनाने में विश्वास रखते थे और उन्हें तमिल भाषा और संस्कृति से लगाव था। उन्होंने इनगम तमिल – इधिलम तमिल यानी हर जगह तमिल – सब कुछ तमिल का नारा दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी प्राचीन साहित्य और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, विकास के मानवीय पक्ष, आमजन की चिंता और राष्ट्रीय संदर्भ में प्रत्येक राज्य की विविधता और समृद्धि का प्रसार करने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मा.पो.सी जैसे महान दूरदर्शी नेताओं मानवीय आदर्श बेहतर भविष्य के लिए लोगों को एकसाथ ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को इस महान देश के निर्माताओं के त्याग के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मा.पो.सी ने धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया और वह प्रत्येक भारतीय के लिए सच्चे नेता थे।