नीति आयोग की स्‍वास्‍थ्‍य नीति

नीति आयोग ने गैर संचारी रोगों के उपचार के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए दिशा-निर्देश और आदर्श छूटग्राही अनुबंध का मॉडल जारी किया 
     सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली इकाइयां जिला अस्‍पतालों में खोली जाएंगी इनमें हृदय रोग, कैंसर और फेफड़ों की बीमा‍री से बचाव और उपचार की व्‍यवस्‍था होगी
नीति+आयोग

     नीति आयोग ने आज गैर-संचारी रोगों के उपचार के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिए दिशा-निर्देशों के साथ ही आदर्श छूटग्राही अनुबंध का मॉडल भी जारी कर दिया। इसके जरिए दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में जिला अस्‍पतालों में गैर-संचारी रोगों (हृदय रोग, कैंसर और फेफड़ों) से संबंधित बीमारियों की रोकथाम और उपचार की पूरक व्‍यवस्‍था की गई है।

     नीति आयोग ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, राज्‍य सरकारों और स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसे तैयार किया है। दिशा-निर्देश और आदर्श छूटग्राही अनुबंध जारी किए जाने के अवसर पर नीति आयोग के सदस्‍य डॉ.वी के पॉल तथा साझेदार एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 
प्रमुख विशेषताएं: 
  • गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए सार्वजनिक निजी भागादारी इकाइयां जिला अस्‍पतालों में खोली जाएंगी।
  • आदर्श छूटग्राही अनुबंध मॉडल के तहत तीन गैर-संचारी रोगों – हृदय रोग, कैंसर और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की रोकथाम और उपचार को शामिल किया गया है।
 सेवाओं का विस्‍तार
  •  कैंसर विज्ञान: प्रभाव घटाना तथा कीमोथैरेपी और हारमोन थैरेपी के जरिए इलाज करना।
  • श्‍वसन रोग विज्ञान: रोग के अत्‍याधिक प्रभाव को घटाने के लिए दवाईयों के जरिए आपात चिकित्‍सा प्रबंधन। 
  • हृदय रोग विज्ञान: रोग के अत्‍याधिक प्रभाव को घटाने के लिए एनजियोंग्राफी-एनजियोप्‍लासटी और दवाईयों के जरिए आपात चिकित्‍सा प्रबंधन। .
  • सार्वजनिक जन भागीदारी के तहत ये सेवाएं एकल साझेदार या निजी साझेदारों के एकल समूह द्वारा उपलब्‍ध कराई जाएगी।
  • निजी भागीदारों को इन इकाइयों में उपलब्‍ध कराई जाने वाली सेवाओं के उन्‍नयन और उनके संचालन प्रबंधन के लिए निवेश करना होगा
  • सरकार द्वारा जमीन और अन्‍य ढांचागत सुविधाएं ‘जहां हैं जैसी हैं के’ के आधार पर उपलब्‍ध कराएंगी। इसके अलावा वह अस्‍पतालों में सभी तरह की सुविधाओं के लिए भी मदद देगी। 
  • रोगियों से सेवांओं के लिए ली जाने वाली शुल्‍क की दरें राज्‍यों और केंद्रों सरकारों द्वारा तय बीमा योजनाओं के आधार पर वसूली जाएंगी। जिन राज्‍यों में ऐसे बीमा पैकेज नहीं होंगे वहां लाभार्थी सीजीएचएस पैकेज की सुविधा ले सकेंगे। 
  •  कम पड़ने वाली राशि की व्‍यवस्‍था सरकारों द्वारा की जाएगी।.
पृष्‍ठभूमि

     नीति आयोग ने देश पर बीमारियों के बोझ में गैर-संचारी रोगों का प्रतिशत पिछले कुछ वर्षों से बढ़ने के कारण ये दिशा-निर्देंश जारी किए हैं। पिछले कुछ समय से देश के जिला अस्‍पतालों में सारा ध्‍यान संक्रामक रोगों, प्रजनन तथा बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल पर ही केंद्रित किया जाता रहा। जिसकी वजह से गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए सक्षम प्रणाली विकसित नहीं हो पाई। 

     आयुष्‍मान भारत के तहत बनाए गए आरोग्‍य केंद्रों में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और उपचार की व्‍यवस्‍था की गई है। ऐसी व्‍यवस्‍था होने के बावजूद इन केंद्रों में ऐसे मामले आ सकते हैं, जिसमें रोगियों का उपचार अस्‍पताल में करना जरूरी हो सकता है। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक निजी भागीदारी से बनाए वाले जिला अस्‍पताल बड़ी भूमिका निभाएंगे। 

     ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के शहरी क्षेत्रों में ज्‍यादा मौजूद होने के कारण ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों को इलाज के लिए काफी लंबा सफर तय करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक और निजी भागीदारी से बनाए जाने वाले जिला अस्‍पताल स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उपलब्‍ध कराने में अहम भूमिका निभाएंगे। 

     नीति आयोग द्वारा आज पीपीपी के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देश और आदर्श छूटग्राही अनुबंध मॉडल जन स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की चिंताजनक कमियों की भरपाई करने में मददगार साबित होंगे और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति 2017 के लक्ष्‍यों की प्राप्ति में सहायक बनेंगे। इससे उन क्षेत्रों में निजी निवेश बढ़ेगा जो क्षेत्र अभी तक इससे वंचित रहे हैं।
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